Khatu Shyam: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम के दर्शन के लिए रोज हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. सभी जानते हैं कि बाबा खाटू श्याम को को ‘हारे का सहारा’ और ‘लखदातार’ कहा जाता है. लेकिन 99 फीसदी लोगों को इसकी वजह के बारे में बताएंगे.
Khatu Shyam को क्यों कहा जाता है हारे का सहारा?
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देश की मशहूर कथा वाचक किशोरी को अक्सर भगवान खाटू श्याम के बारे में बात करते हुए देखा जाता हैं. एक बार उन्होंने बताया था कि जब वह काफी छोटी थी तो वह भगवान खाटू श्याम के सीकर जिले स्थित मंदिर में दर्शन करने गयी थी. जिसके बाद से उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा हैं.
जया किशोरी बताती हैं, कि भगवान श्री कृष्ण ने ही श्याम बाबा को ये बेहद खास आर्शीवाद दिया था कि कलयुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे और इसका जिक्र महाभारत में भी है.
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बाबा श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं, इसकी कहानी महाभारत से जुडी हैं. कहा जाता हैं कि खाटू श्याम भगवान को हारे का सहारा इसलिए कहते हैं क्योंकि वो अपनी मां को बोलकर गए थे कि युद्ध में जो भी हारेगा मैं उसके साथ दूंगा.
इसके बाद भगवान श्री कृष्ण खुद उनका टेस्ट लेने भी आए थे और फिर श्री कृष्ण ने खाटू श्याम से कहा था कि तुम सिर्फ एक तीर से पेड़ के सभी पत्ते गिराकर दिखाओ और फिर उन्होंने ऐसा कहकर उन्होंने 1 पत्ता पैर के नीचे दबा लिया.
फिर इसके बाद तीर उनके पास आकर घूमने लग गया था. इससे बाद सभी को इस चीज का अहसास हो गया कि बाबा खाटू श्याम कितने शक्तिशाली हैं. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने बाबा खाटू श्याम से उनका सिर मांग लिया था और उसे सबसे ऊपर रखकर महाभारत का युद्ध देखने के लिए कहा था.इस घटना के बाद से ही उन्हें हारे का सहारा नाम मिल गया था.
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