सनातन धर्म में सिर पर चोटी रखने का प्रथा सदियों से चली आ रही हैं लेकिन इसके पीछे का लॉजिक क्या हैं ये बेहद कम लोग ही जानते होंगे. आज इस में हम ये जानेगे कि आखिर सिर पर चोटी रखने से क्या होता हैं और इसके क्या फायदे हैं.
सनातन धर्म में लोग सिर पर चोटी रखने की मान्यता सदियों पुरानी हैं और इसे शिखा भी कहा जाता है. दरअसल सिर के जिस हिस्से पर चोटी रखी जाती है, उसे सहस्त्रार चक्र कहा जाता हैं.
सिर पर चोटी रखने से क्या होता हैं?
सिर पर चोटी रखने के पीछे ऐसी मान्यता है कि सहस्त्रार चक्र के नीचे ही मनुष्य की आत्मा वास करती है. ऐसे में कहा ये जाता हैं कि चोटी रखने से सहस्त्रार चक्र हमेशा जागृत रहता है.
इसके आलावा ये भी माना जाता हैं कि चोटी रखने से मनुष्य की बुद्धि, मन और शरीर को कंट्रोल रखने में काफी मदद मिलती है. यही कारण हैं कि सनातन धर्म में लोग अक्सर चोटी रखते हैं.
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धार्मिक ग्रंथों में ये भी कहा गया हैं कि मनुष्य के सहस्रार चक्र का साइज गाय के खुर (पैर की उंगलियों) के बराबर होता हैं. ऐसे में चोटी भी गाय के खुर के बराबर ही रखी जाती हैं.
इसके आलावा ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यदि किसी इंसान की कुंडली में राहु नकारात्मक प्रभाव दे रहा हैं तो उसे राहु की महादशा से बचने से लिए सिर पर चोटी रखनी चाहिए. इससे राहु की दशा में फायदा पहुँचता हैं.
ये भी कहा जाता हैं कि सिर की चोटी के करीब 2-3 इंच नीचे आत्मा का निवास होता है. यही कारण हैं कि इसे रखने से मन बुद्धि पर कंट्रोल में रखने में मदद मिलती हैं.
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