Search for Water : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि धरती पर लगभग 70% पानी है और 20 से 25 प्रतिशत हिस्से पर रेगिस्तान, पहाड़ियों और जंगल मौजूद हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने का प्रयास किया की धरती पर इतना पानी कहां से और कैसे आया। आखिर इन बड़े-बड़े सागरों, महासागरों और पानी के स्रोतों के पीछे की रहस्यमई उत्पत्ति कैसे हुई। इस बात को लेकर विज्ञान में कई तरह की दावेदारी पेश की जा चुकी हैं, जिनमें कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी पर उल्कापिंड अपने साथ काफी बड़ी मात्रा में पानी लेकर आए, इसके साथ-साथ कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि सूखी लकड़ियों के कारण धरती पर इतनी बड़ी मात्रा में पानी उत्पन्न हो गया। लेकिन क्या इसका कोई सही परिणाम निकल सका। आइए आज इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं कि किस तरह से बड़े-बड़े सागरों और महासागरों की उत्पत्ति हुई।
कैसे आया धरती पर पानी
पृथ्वी पर इतनी बड़ी मात्रा में पानी कैसे आया, इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए वैज्ञानिकों ने हाल ही में कुछ उल्का पिंडों के टुकड़ों का अध्ययन किया। जिससे पता चला कि धरती पर इतनी बड़ी मात्रा में पानी कैसे आया। जी हां अध्ययन से पता चला कि यह उल्का पिंड जब पृथ्वी पर आए तो यह पानी से भरे हुए थे, और जब यह हमारी धरती से टकराए तो हमारी धरती पर पानी पानी ही पानी हो गया और धरती के बदलते मौसम के कारण पानी की मात्रा भी बढ़ती गई।
इसके साथ-साथ जापान के अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत भी इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने का प्रयास किया गया। जापानी स्पेस प्रोब हायाबूसा -2 अंतरिक्ष में गया और जब 6 साल के लंबे समय बाद वह वहां से लौटा, तो अपने साथ 5.4 ग्राम की चट्टान और धूलकण समेटे हुए आया। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रोब एक क्षुद्रग्रह रायगु की सतह पर उतरा था, जहां से वह यह कण लेकर आया, फिर इस पर रिसर्च की गई, जिससे पता चला कि इनमें कुछ अमीनो एसिड मौजूद हैं, जो शायद अंतरिक्ष में ही बने होंगे और इन्हीं क्षुद्रग्रहों के जरिए पानी आया होगा।
एस्टेरॉयड शायद पृथ्वी पर पानी के मुख्य स्रोत
नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक वास्पशील और कार्बनिक तत्वों से भरपूर सी टाइप के एस्टेरॉयड शायद पृथ्वी पर पानी के अहम कारण थे। हो सकता है कि रायगु के कणों में मिलने वाले कार्बनिक पदार्थ यही संकेत देते हैं। फिर वैज्ञानिकों ने इस बात को लेकर अनुमान लगाया, कि शायद इस प्रकार के तत्व बाहरी सौरमंडल में मौजूद होंगे, क्योंकि रायगु के कण सौरमंडल के ऐसे पदार्थ हैं, जिनमें किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं है। धरती पर पानी की मौजूदगी का अहम कारण यही कण हो सकते हैं, लेकिन यह पूर्णतया सत्य नहीं है। अभी भी वैज्ञानिक इस बात की खोज करने में लगे हुए हैं कि आखिर धरती पर इतना पानी कहां से आया?
कैसे हुई सागर और महासागर की उत्पत्ति?
अब प्रश्न उठता है कि आखिर इतने बड़े सागर और महासागर की उत्पत्ति कैसे हुई। अगर अपने पुराणों पर नजर डालें, तो प्रत्येक सागर की उत्पत्ति की अलग-अलग कहानी छुपी हुई है। लेकिन विज्ञान की माने तो आज से लगभग 100 करोड़ साल पहले सागर की उत्पत्ति हुई होगी, क्योंकि जब पृथ्वी का जन्म हुआ तो वह सिर्फ एक आज का गोला थी, जोकि लाखों सालों में ठंडी हो सकी। पृथ्वी के चारों तरफ गैस के बादल छाए हुए थे, और यह बादल ठंडे होने पर काफी भारी हो गए और उन्ही बादलों से लगातार मूसलाधार बारिश होने लगी। यह क्रम हजारों साल तक चलता रहा और इसी क्रम के चलते पृथ्वी पर इतना अधिक पानी इकट्ठा हो गया कि चारों तरफ गड्ढे बन गए और उन्ही गड्ढो में पानी इकट्ठा होने लगा। बाद में इन्हीं गड्ढों ने समुद्र का रूप ले लिया, लेकिन अभी सिर्फ इस बात की संभावना जताई जा रही है, अभी भी वैज्ञानिक इस बात की सत्यता तक पहुंचाने की तलाश में जुटे पड़े हैं।
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