आपको बता दें उत्तराखंड सरकार का फोकस अब सारनाथ का बद्रीनाथ संहिता में शीतकालीन चार धाम पर है। यह पूजा अर्चना चारों धामों की शीतकालीन प्रवास ऊपर होगी ऐसे में बताया जा रहा है कि श्रद्धालुओं से शीतकालीन प्रवास ऊपर आने की अपील की जा रही है। 20 सितंबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद चारों धामों के शीतकालीन प्रवास की पूजा-अर्चना शुरू होने वाली है।
आपको यह जानकारी दी थी कि गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन प्रभास मुखबा यमुनोत्री के केदारनाथ के उखीमठ और बद्रीनाथ धाम के जोशीमठ व पांडेकेश्वर में रहते है। आपको बता दे जोशीमठ मैं शंकराचार्य की गद्दी और मुख्य पूजन वहां पर होता है। पांडेकेश्वर में कुबेर की मूर्ति भी मौजूद है। सरकार का फोकस किंग शीतकालीन प्रवास ओ तक भी श्रद्धा श्रद्धालुओं को लाने का है।
आपको बता दें यात्रा इतनी देर से शुरू होने के बावजूद भी देश विदेश से उत्तराखंड आने वाले तीर्थ यात्रियों की बहुत भीड़ है। चारों धामों में से तीन धाम के कपाट शीतकालीन के लिए बंद कर दिए जा चुके हैं। बद्रीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर को शीतकालीन के लिए बंद कर दिए जाएंगे। आपको बता दे नंबर को केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो जाएंगे। गंगोत्री के कपाट भी बंद हो चुके हैं। चारों धाम में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या रिकॉर्ड चार लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। इनमें अधिक तीर्थ यात्रा में अकेले केदारनाथ धाम में दर्शन किए हैं।
आपको बता दे उत्तराखंड चार धामों में प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट शनिवार भैया दूज वृश्चिक राशि अनुराधा नक्षत्र में समाधि पूजा-प्रक्रिया के पश्चात विधि-विधान से शीतकाल हेतु के बाद बंद कर दिया गया। आपको बता दे बर्ह्ममुहुर्त से कपाटबंद होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं। सुबह 6 बजे पुजारी बागेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरवनाथ जी का आव्हान कर धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्यंभू शिव लिंग को विभूति तथा,शुष्क फूलों से ढककर समाधि रूप में रखा जायेगा।
सुबह 8 बजे मुख्य द्वार के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिये गये। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी रहे। आपको बता दे फिर इसके बाद बर्फ की सफेद चादर ओढ़े श्री केदारनाथ धाम से पंच मुखी डोली ने सेना के बैंड बाजो की भक्तमय धुनों के बीच मंदिर की परिक्रमा कर विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ हेतु ले जाया जायेगा।
यह जानकारी दे दे कि प्रदेश के राज्यपाल महामहिम गुरूमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सहित प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, चारधाम विकास परिषद पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने धामों के कपाट बंद होने पर सभी ने बधाईयाँ दी है।
श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होते वक़्त उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सदस्य श्री निवास पोस्ती, वरिष्ठ पत्रकार एवं देवस्थानम बोर्ड सदस्य आशुतोष डिमरी, आयुक्त गढ़वाल एवं देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी रविनाथ रमन, जिलाधिकारी मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, जैसे व्यक्ति उपास्थि थे। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने इस बारे में बताते हूँ कहा है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ जी की डोली ने मंदिर की परिक्रमा के बाद जय श्री केदार के उदघोष के बाद पहले पड़ाव रामपुर के लिए ले जाया गया था।
फिर इसके बाद 7 नवंबर को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास हेतु पहुंचकर 8 नवंबर को भगवान केदारनाथ की डोली के पंच केदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में स्थापित कर दी गयी। इसी के साथ भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजा की शुरुआत हुई। चारधामों में कल 5 नवंबर को श्री गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं। शीतकाल हेतु 20 नवंबर को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद की जायेगी । 22 नवंबर को द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट बंद की जायेगी। श्री मद्महेश्वर भगवान की डोली के 25 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचने की तिथि पर मद्महेश्वर मेला का आयोजन किया जायेगा।
गंगोत्री धाम के कपाट शुक्रवार को अन्नकूट पर्व पर विधिवत पूजा अर्चना के साथ 11:45 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया था। गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन पड़ाव मुखीमठ के लिए रवाना हुई थी। डोली शनिवार को मुखबा पहुंची थी। श्रद्धालु आगामी छह माह तक मुखीमठ में ही मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे।
श्रद्धालुओं ने मां के भोग मूर्ति के दर्शन किए है। अमृत बेला, स्वाती नक्षत्र प्रीतियोग शुभ लग्न पर ठीक 11:45 पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद कर दिया गया था। तीर्थ पुरोहितों ने विशेष पूजा व गंगा लहरी का पाठ किया। डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली तो पूरा माहौल भक्तिमय हो गया था।
आपको बता दे फिर नवीं बिहार रेजिमेंट के बैंड की धुन और परंपरागत ढोल दमाऊ की थाप के साथ ठीक 11: 51 पर तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के लिए पैदल चले। रात्रि विश्राम के लिए गंगा की डोली मुखबा से चार किमी पहले चंदोमति के देवी के मंदिर में पहुंचेगी और शनिवार की सुबह मां गंगा की डोली चंदोमती माता मंदिर से मुखीमठ स्थित गंगा मंदिर में पहुंच जायेगी। वहाँ छह माह तक मां गंगा की विधिवत पूजा अर्चना होगी।
भैयादूज के अवसर पर दोपहर 12:15 बजे विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया। जिसके बाद शीतकाल में छह महीने तक मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में होंगे। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने इस बारे में कहा है कि भैया दूज के पावन अवसर पर पौराणिक परंपरानुसार शनिवार को दोपहर 12:15 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया हैं।
जिसके बाद मां यमुना की डोली यमुनोत्री धाम से शनि देव की अगुवाई में अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ के लिए ले जाया गया। यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में छह महीने तकमां यमुना की पूजा अर्चना उनके शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में होगी। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु शीतकाल में छह माह तक मां यमुना के दर्शन कर आनंद ले पाएंगे।