कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए केन्द्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. देश की राजनीती में हमेशा से सिंधिया परिवार का दबदबा कायम रहा हैं. उनकी दिवंगत दादी और भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक विजया राजे सिंधिया, उनके दिवंगत पिता और कांग्रेस मंत्री माधवराव सिंधिया, उनके बेटे महानर्यमन सिंधिया और उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया भी राजनीती में हाथ अजमा चुकी हैं. लेकिन आज इस लेख में हम ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं बल्कि उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया के बारे में जानेगे.
1975 में जन्मी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया के पिता संग्रामसिंह गायकवाड़, बड़ौदा राज्य के अंतिम शासक प्रताप सिंह राव गायकवाड़ के पुत्र थे. जिन्होंने 1951 तक शासन किया जब राज्य भारत गणराज्य का हिस्सा बन गया. उनकी मां आशाराजे गायकवाड़ नेपाल के राणा वंश से हैं.यहाँ पढ़ें: सिंधिया घराने की संपत्ति जानकर अंबानी-अडानी के होश उड़ जाएगे,जानिए कितनी हैं महाराज की दौलत
प्रियदर्शिनी राजे ने कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की, जिसे मुंबई में फोर्ट कॉन्वेंट के नाम से भी जाना जाता है. बाद में, वह मुंबई में सोफिया कॉलेज फॉर विमेन चली गईं.
प्रियदर्शिनी राजे ने दिसंबर 1994 में ज्योतिरादित्य सिंधिया से शादी की. यह एक अरेंज मैरिज थी. हालांकि, ज्योतिरादित्य ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह प्रियदर्शिनी राजे से पहली बार दिसंबर 1991 में दिल्ली में एक सभा में मिले थे. उस समय, ज्योतिरादित्य संयुक्त राज्य अमेरिका में थे, जबकि प्रियदर्शिनी राजे मुंबई में स्थित थीं. ज्योतिरादित्य ने कहा, “मैं पहले दिन से जानता था कि प्रियदर्शिनी मेरे लिए एक थी.”
2008 में प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को वर्वे की ‘बेस्ट ड्रेस्ड – 2008’ सूची में शामिल किया गया था और बाद में 2012 में, उन्होंने फेमिना की भारत की 50 सबसे खूबसूरत महिलाओं की सूची में जगह बनाई. यहाँ पढ़ें: ज्योतिरादित्य सिंधिया की बेटी की अनसुनी बातें जानकर आप बन जाएंगे उनके फेन
प्रियदर्शिनी ने एक बार कहा था कि महल में रहना एक फुल टाइम नौकरी है. वह मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जय विलास महल और उषा किरण पैलेस दोनों के जीर्णोद्धार कार्यों में शामिल रही हैं.
ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शिनी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान अपने पति मदद की थी. 2019 के लोकसभा चुनावों की अगुवाई में, वह मतदाताओं के एक वर्ग के पास पहुंची. उनकी पीड़ा सुनी और उन्हें अपने पति द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताया.
2019 में बीजेपी ने कृष्ण पाल सिंह यादव को गुना से अपना उम्मीदवार बनाया, जिसे सिंधिया का पॉकेट बोरो माना जाता है. हालांकि, प्रियदर्शिनी ने सोशल मीडिया पर ज्योतिरादित्य के साथ बीजेपी नेता की फोटो शेयर कर उनका मजाक उड़ाया और कहा कि एक शख्स जो कभी महाराज के साथ सेल्फी लेने के लिए कतारों में खड़ा था, अब बीजेपी का उम्मीदवार है. पेशे से डॉक्टर और ज्योतिरादित्य के करीबी कृष्ण पाल ने इस क्षेत्र में उनकी कड़ी मेहनत को पहचानने में नेतृत्व के विफल होने के बाद पार्टी छोड़ दी थी.
परिणाम घोषित होने के बाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. वह कृष्ण पाल सिंह यादव से 1,25,549 मतों के अंतर से हार गए थे.