Hit and Run New Law : भारत में हाल ही में सरकार की तरफ से हिट एंड रन कानून का नया नियम लागू किया गया, जिसका मुख्य मकसद दुर्घटना के बाद ड्राइवर को भागने से रोंकना है। इस नियम से ट्रक ड्राइवर और ट्रांसपोर्ट यूनियन की देशव्यापी हड़ताल का जन्म हुआ। जिसके चलते ट्रक और टैंकर्स ड्राइवर का 3 दिन का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। देश के कई हिस्सों में इससे डीजल और पेट्रोल की आपूर्ति की समस्या भी सामने आई।
क्यों बनाया गया हिट एंड रन कानून?
भारत में सालाना लगभग साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं होती है, जिसमें से डेढ़ लाख से अधिक लोग समुचित इलाज न मिल पाने के कारण अपनी जान गवां बैठते हैं। इन सड़क दुर्घटनाओं में अधिकतर दुर्घटनाएं हिट एंड रन की होती है, जिसमें अक्सर देखा जाता है कि अगर किसी बड़े वाहन से दुर्घटना हो जाती है, तो दुर्घटना चालक दुर्घटना करने के बाद दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति पर ध्यान न देकर खुद मौके से फरार हो जाता है। ऐसी सिचुएशन में सुनसान इलाकों में इस तरह से बड़े वाहनों द्वारा दुर्घटना कर भागने के कारण दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मौके पर समुचित इलाज नहीं मिल पाता, जिसके चलते वह अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। भारत में ऐसे केसों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
इन्हीं केसों में कमी लाने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा भारतीय न्याय संहिता में कुछ बदलाव करते हुए सजा के कुछ कड़े प्रावधान लागू किए गए हैं, जिसमें किसी दुर्घटना करने वाले चालक को 10 वर्ष की सजा के साथ ही 7 लाख का जुर्माना भी देना होगा। आइए आज इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं कि वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पांडे हमें हिट एंड रन के नए नियमों के बारे में क्या जानकारी देते हैं।
क्या है नया हिट एंड रन कानून ?
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पांडे ने कहां की भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 104 के पार्ट 1 में दंड के नए नियम बनाए गए हैं, जिसमें दोषी करार व्यक्ति पर 7 वर्ष तक की सजा और जुर्माना लगाया जाएगा। जबकि भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 304 – ए में दंड का प्रावधान दोनों में से किसी भी स्थिति के कारावास से जिसका समय 2 वर्ष तक का हो या जुर्माने से या दोनों में दंडित होना है। जिसे देखते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 104 के पार्ट 1 में संशोधन करना आवश्यक है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 104 के पार्ट 2 में संशोधन करने की भी काफी आवश्यकता है, क्योंकि धारा 104 के पार्ट 2 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा उतावलेपन पर या अपेक्षा पूर्ण किए गए किसी कार्य से अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, और फिर वह घटना स्थल से निकलकर भागने का प्रयास करता है और घटना होने पर पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की सूचना देने में असमर्थ रहता है, तो फिर उस व्यक्ति को किसी भी अवधि में 10 साल तक की जेल हो सकती है और उसे जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
लेकिन इसमें भी संशोधन करने की विशेष आवश्यकता है, जी हां इसके मुताबिक अगर नशे की स्थिति में किसी भी व्यक्ति, द्वारा उतावले या उपेक्षा पूर्ण कार्यों से अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो फिर उसे 10 वर्ष का कारावास और जुर्माना भरना होगा
पहले हिट एंड रन कानून क्या था?
भारतीय न्याय दंड संहिता से पहले हिट एंड रन जैसी घटनाओं के लिए किसी प्रकार का कोई सीधा कानून नहीं था। इस तरह के मामलों में IPC की धारा 304 ए का प्रयोग किया जाता था, जिसके मुताबिक अगर लापरवाही से किए गए किसी कार्य की वजह से किसी व्यक्ति की जान जाती है, तो ड्राइवर को अधिकतम दो वर्ष की जेल और जुर्माना हो सकता है।
इन कारणों से हुआ विरोध प्रदर्शन
नए हिट एंड रन कानून की आलोचना का मुख्य कारण यह था, कि इसके लिए बहुत ही सख्त कानून निर्धारित किए गए, जिसके मुताबिक ड्राइवर को 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपए का तगड़ा जुर्माना भरना होगा, जबकि पुराने नियमों के अनुसार सिर्फ दो साल की जेल और जुर्माना था जोकि बहुत कम था। सरकार के इन नए नियम को ड्राइवर अपने ऊपर लटकती तलवार समझ रहे हैं, क्योंकि अब दुर्घटना भले ही उनकी लापरवाही से ना हुई हो, लेकिन इसका खामियाजा उन्हें बहुत अधिक भुगतना पड़ सकता है, जिसके चलते विरोध प्रदर्शन चालू हो गया।
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