Temple : भारत में आज भी कहीं ना कहीं महिला – पुरुष के अधिकारों में भेदभाव देखने को मिल ही जाता है। देश में ऐसे कई संस्थान और धार्मिक स्थल हैं, जहां पर महिलाओं को उतना अधिक अधिकार नहीं मिलता जितना कि उन्हें वास्तव में मिलना चाहिए। जिस तरह से भारतीय संविधान में महिला और पुरुषों दोनों के लिए ही समान अधिकारों की व्यवस्था की गई है, बिल्कुल वैसे ही भगवान के घर में भी सभी लोगों को बराबर के अधिकार प्राप्त हैं। लेकिन देश में आज भी ऐसे कई मंदिर हैं, जहां पर महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे। जहां महिलाओं को मंदिर में जाने की तो मनाही नहीं है, लेकिन उन्हें प्रसाद नहीं दिया जाता और पुरुषों को भी जो प्रसाद दिया जाता है, उन्हें उसे वहीं पर खत्म करना होता है।
बिहार में स्तिथ यह मंदिर
बिहार में ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर है, जहां पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। महिला और पुरुष श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं। लेकिन इसके साथ ही बिहार में एक ऐसा मंदिर भी मौजूद है। जहां महिलाओं के आने जाने पर तो मनाही नहीं है,,लेकिन यहां के मंदिरों में महिलाओं को प्रसाद खाने की परमिशन नहीं है।
प्रसाद को मंदिर में ही पड़ता है खाना
इस मंदिर में एक विशेष प्रकार के प्रसाद का वितरण किया जाता है, जिसे आप मंदिर परिसर में ही खा सकते हैं। आप इस प्रसाद को घर नहीं ले जा सकते। इस प्रसाद को घर ले जाने पर मनाही है। यह मंदिर इतना अधिक पॉपुलर हो चुका है कि सिर्फ जमुई ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग इस मंदिर में पूजा आराधना करने के लिए आते हैं। मान्यता भी है कि यहां व्यक्ति जो कुछ भी सच्चे हृदय से मांगता है, पूरा हो जाता है।
कौन सा है यह मंदिर
जमुई जिले के सोनी प्रखंड क्षेत्र के बटिया स्थित बाबा झुमराज स्थान पर यह मंदिर स्तिथ है, जो इतना अधिक पॉपुलर है, कि एक महीने में 1.50 लाख श्रद्धालु मंदिर दर्शनों के लिए आते हैं। इस मंदिर की स्थापना के पीछे एक बेहद रोचक कहानी छिपी है। मंदिर के पुजारी तालेवार सिंह द्वारा बताया गया कि किसी समय हरिद्वार के कुछ पुजारियों का जत्था इधर से होकर गुजरा।। उनमें से एक पुजारी काफी पीछे चल रहा था, जिसके ऊपर बाघ ने हमला कर उसे मार डाला। जिस जगह यह घटना घटित हुई वह बेहद जंगली इलाका था, जिसके चलते पुजारी के साथी भी उन्हें ऐसी ही हालत में छोड़कर चले गए।
किसान ने करी खेती
कुछ समय पश्चात एक किसान इस जगह पर खेती करने के लिए आया। जहां उसने उस पुजारी के कंकाल को जमा कर उसे जला दिया और जमीन को साफ सुथरा कर उसके ऊपर महुआ की फसल उगाने लगा। जब फसल पक गई, तब किसान अपनी फसल काट कर घर चला गया।
किसान को खेतों में नजर आया चमत्कार
वही जब दूसरे दिन किसान फिर खेतों की तरफ गया, तो उसने देखा कि महुआ की फसल तो अब भी उसके खेतों में लहलहा रही है। फिर क्या था उसने दूसरे दिन भी फसल काटी और चला गया। फिर अगले दिन उसने देखा कि उसके खेतों में फिर से फसल लहलहा रही है। लगातार किसान के साथ कई दिनों तक ऐसा वाक्या घटित होता रहा। तब उसने प्रार्थना कर इस बात का कारण पूछा। तभी वहां वह पुजारी आए और बोले कि मैं पिछले कई सालों से यहां भटक रहा हूं। मेरे साथियों ने तो मेरा साथ छोड़ दिया था, लेकिन तुमसे मुझे अग्रि मिली है।
मृत पुजारी ने लोगों को सपना दिया कि मैं सबकी मनोकामनाओं को अवश्य पूरी करूंगा। उसके बाद उसने किसान तथा गांव के अन्य लोगों के द्वारा मिट्टी का एक पेड़ स्थापित किया। और उसकी पूजा अर्चना शुरू कर दी जो आज भी हो रही है।
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