Diwali Rocket : दीवाली को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाता हैं. इस दिन श्रीराम बुराई पर अच्छाई की जीत दर्ज करके अयोध्या वापसी लौट थे. जिसके बाद अयोध्यावासियों ने ख़ुशी में दीप जलाकर रोशनी का पर्व बनाया गया हैं. दरअसल दीवानी सिर्फ प्रकाश का पर्व ही बल्कि पटाखों का भी पर्व होता हैं. इस दिन लोग काफी पटाखें जलाते हैं.
पटाखें लगभग सभी जलाते हैं या कभी न कभी जरुर जलाए होंगे लेकिन बेहद कम लोगों को इसके पीछे का साइंस पता होगा. आज इस लेख में हम इसी के बारे में जानेगे.
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रॉकेट उपर क्यों जाता हैं? (Diwali Rocket)
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पटाखें कई तरह होते हैं, किसी ने रंग बिरंगी रोशनी निकली हैं तो कोई लट्टू की तरह घूम-घूमकर फूटता हैं. इसी तरह रॉकेट होता हैं जो उपर उड़ान भरता हैं और फिर फटकर रंग-बिरंगी रोशनी करता हैं. रॉकेट को देखने के कई बाद कई बार जहन में ये सवाल आता हैं कि जब सभी पटाखों में ही बारूद होता हैं तो सिर्फ रॉकेट ही उपर की ओर उड़ान भरता हैं?.
सभी पटाखों मे बारूद को होता हैं लेकिन रॉकेट में बारूद भरने का तरीका अलग होता है. जिसके कारण ही वह उपर उड़ान भरने के बाद फटता हैं. जब रॉकेट बनाया जाता हैं तो उसे ऊपरी हिस्सा नली के आकार का रखा जाता है. एक दिलचस्प बात ये भी हैं कि अन्यों पटाखों की तरह रॉकेट को बारूद से पूरा नहीं भरा जाता.
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रॉकेट का कुछ हिस्सा खाली होता हैं और इस खाली हिस्से के निचले भाग में पटाखें का बारूद भरा जाता है. फिर कागज की बत्ती निकली होती है, इसी में आग लगाकर रॉकेट चलाया जाता है.
रॉकेट की बत्ती में आग लगने के बाद बारूद में बारूद जलना शुरू होता है. फी रॉकेट के खाली हिस्से में इतनी ज्यादा गर्माहट और गैस इकठ्ठा हो जाती है कि वहां काफी अधिक मात्रा में दबाव पैदा होता है और फिर प्रेशर से रॉकेट उपर जाता हैं.