Covid Variant JN. 1 : अब से 4 साल पहले साल 2019 में जब पूरी दुनिया नए साल का जोरों शोरों से इंतजार कर रही थी, तभी साल के अंतिम दिनों में एक ऐसा वायरस आया, जिसने सभी की जिंदगी में तहलका मचा दिया। यह वायरस था कोरोना वायरस। जी हां इस संक्रमण की शुरुआत चीन से हुई थी, लेकिन उसके बाद यह कोरोना पूरे देश- विदेश में फैल गया, और इस कदर फैला कि लोगों का बचना मुश्किल हो गया। अब 4 साल बाद कोविड-19 महामारी का प्रकोप तो थम गया है, लेकिन अभी भी यह वायरस अपने नए रूपों में हमारी जिंदगी में दस्तक देने को तैयार है। इस दिसंबर भी कोविड अपने नए वेरिएंट के साथ तबाही मचाने को तैयार नजर आ रहा है। कोरोनावायरस का संक्रमण एक बार फिर से लोगों की जिंदगी में फैलता नजर आ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कोरोना के इस नए वेरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ का नाम दिया गया है, जोकि लोगों की जिंदगी में फिर से उथल-पुथल मचाने को तैयार खडा है।
क्या है JN.1?
विशेषज्ञों के मुताबिक JN.1. कोविड के ओमिक्रॉन वेरिएंट का सब वेरिएंट है, जोकि जानलेवा नहीं है, लेकिन बेहद संक्रामक है। जिन व्यक्तियों को पहले से किसी प्रकार की कोई बीमारी है, या उनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उनके लिए इस वायरस के संक्रमण से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। JN.1. ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट BA.2.86 से बना है। साल 2022 में BA.2.86 के चलते ही कोरोना के केस में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। हालांकि व्यापक रूप से यह वेरिएंट नहीं फैल पाया था, लेकिन इसके म्यूटेशन से स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई थी। BA.2.86 के स्पाइक प्रोटीन पर अतिरिक्त म्यूटेशन भी हुए थे, और वैसे ही JN.1. के स्पाइक प्रोटीन में भी अतिरिक्त म्यूटेशन मौजूद है।
आपके मन में कोविड के इस नए वेरिएंट को लेकर कई सवाल उठ रहे होंगें, कि क्या यह वेरिएंट लोगों के शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है अथवा नहीं। जेन 1. सबसे तेजी से फैलने वाला वेरिएंट बताया जा रहा है, जिसकी चपेट में मजबूत इम्यूनिटी वाला व्यक्ति भी आ सकता है। हालांकि अब तक इसके मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भारत के लोग पहले ही ओमिक्रॉन वेरिएंट समेत कई वेरिएंट का शिकार हो चुके हैं। साथ ही उन्हें कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम दो डोज भी लग चुकी है। अब ऐसी स्थिति में ऐसे व्यक्तियों को SARS -CoV-2 वेरिएंट या उप वेरिएंट के चलते किसी प्रकार की गंभीर बीमारी होने का कोई खतरा नहीं है।
हर साल दिसंबर में ही क्यों होती है इस संक्रमण की शुरुआत?
नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन जो डेल्टा संस्करण से उत्पन्न दूसरी लहर की शुरुआत के विश्लेषण के दौरान किया गया के मुताबिक पहली बार कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने में मौसम का अहम योगदान रहा है, क्योंकि कई अध्ययनों से पता चला है कि ठंड और शुष्क सर्दी के चलते कोविद-19 के मामलों में तेजी से वृद्धि होती है।
जैसे-जैसे मौसम ठंडा होता गया और तापमान में गिरावट आई जिसके चलते मौसम शुष्क हो गया और उत्तरी गोलार्ध के देशों में मौसम की शुष्कता के चलते कोविद-19 की तीव्र वृद्धि दूसरी लहर को बढ़ाने में सहायता मिली। चीन की सिचुआन इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा भी इसी तरह की थ्योरी की पुष्टि की गई है।
ठंडी परिस्थितियों में रहने वाले व्यक्तियों को इस संक्रमण का अधिक खतरा
किए गए शोध के मुताबिक ठंडी परिस्थितियों में रहने वाले व्यक्तियों में नियंत्रित (गर्म) परिस्थितियों में रहने वाले व्यक्तियों की तुलना में कोरोनावायरस से संक्रमित होने का खतरा अधिक बना रहता है। दिसंबर छुट्टियों का मौसम होता है, और इसी मौसम में इस संक्रमण के फैलने में काफी सहायता मिलती है। कोविड-19 की शुरुआत दिसंबर में चीन में हुई और फिर देखते-देखते यह दुनिया के प्रत्येक हिस्से में फैल गया। दिसंबर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध दोनों ही प्रकार की छुट्टियों का मौसम माना जाता है। लोग भी छुट्टी के मौसम में एक जगह से दूसरी जगह ट्रैवल करते रहते हैं। यह वायरस लोगों को छूने या उनके अधिक करीब जाने से फैलता है, जिसके चलते इस वायरस को बढ़ाने का अहम कारण टूरिज्म भी माना जाता है।
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