Bhai Dooj Kab Hai : भारत त्योहारों का देश माना जाता है, यहां सभी धर्म के लोग निवास करते हैं और तरह-तरह के त्योहारों का आनंद उठाते हैं।इन्हीं त्योहारों में रक्षाबंधन और भाई दूज जैसे दो महत्वपूर्ण त्योहार भी शामिल हैं। दीपावली के त्यौहार का समापन ही भाई दूज के साथ होता है। भाई दूज भाई और बहन के मजबूत रिश्ते और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करके उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, वही बदले में भाई भी अपनी बहनों को कुछ ना कुछ प्रेम स्वरूप उपहार भी देते हैं।
![भाई दूज की तिथि को लेकर गहरा कन्फ्यूजन](https://wordpress-1013753-3582599.cloudwaysapps.com/wp-content/uploads/2023/11/123-64.jpg)
भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, लेकिन इस बार इस त्यौहार को लेकर लोगों के बीच तगड़ा कन्फ्यूजन चल रहा है। आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम जानते हैं कि भाई और बहन के प्रेम और मजबूत रिश्ते की डोर पर टिका यह त्यौहार किस दिन मनाया जाएगा। इस साल इस तिथि का आरंभ 14 नवंबर को दोपहर 2:35 पर हो रहा है जोकि 15 नवंबर को रात्रि 1:45 तक चलेगा, लेकिन उदिया तिथि को ध्यान में रखते हुए भाई दूज का यह त्यौहार 15 नवंबर को ही मनाया जाएगा।
भाई बहन के प्रेम का प्रतीक (Bhai Dooj Kab Hai)
![भाई दूज की तिथि को लेकर गहरा कन्फ्यूजन](https://wordpress-1013753-3582599.cloudwaysapps.com/wp-content/uploads/2023/11/123-65.jpg)
भाई दूज का यह त्यौहार भाई-बहन के मजबूत रिश्ते और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहने घर के मुख्य द्वार पर गोधन का चौक बनाती है, जिसके अंदर वह अपने भाइयों के दुश्मनों के प्रतीक स्वरूप गोबर से यम या मेरुदंड, मुसल, सर्प, बिच्छू आदि बनाए जाते है। कुछ समय बाद आसपास की सभी बहने और महिलाएं उसे चौक के पास आकर बैठती है, और चीनी से बनी मिठाइयों चूरा, गट्टा आदि चढ़कर पूजा करती हैं। फिर उस चौक में नारियल, पानी व सुपारी रखकर मुसल से कूटती हैं। फिर भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए कुश- सरपट सहित सभी के छोटे-छोटे टुकड़े कर देती हैं।
कैसे मनाते हैं यह त्योहार
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भाई दूज का यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम और मजबूत रिश्ते की डोर पर टिका होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के सभी संकट हरने की कामना करती हैं, और पूजा करते समय मौन धारण करके भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। सभी महिलाएं और युवतियां जो भी इस पूजा में शामिल होती है, वह एक दूसरे से पूछती हैं कि वह यह क्या कर रही है। तब महिलाएं आपस में एक दूसरे से कहती है कि वह अपने भाइयों की उम्र जोड़ रही है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि पूजा करते समय बहने अपने भाइयों को श्राप भी देती हैं, और फिर वह भाइयों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। इस दौरान बहुत से लोक गीतों का आनंद उठाने का सुनहरा अवसर भी मिलता है।
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