जब कभी आप kabristaan शब्द सुनते होंगे तो आप यही सोचते होंगे कि यह एक बेहद दुखद और डरावनी जगह है। अधिकांश लोग कब्रिस्तान के बारे में जानने का तब तक विचार नहीं करते जब तक उन्हें वास्तव में किसी कब्रिस्तान में न जाना पड़े। अक्सर कब्रिस्तान में जाने का अहम कारण किसी परिचित व्यक्तियों की मृत्यु हो जाना ही होता है। जी हां अगर किसी व्यक्ति के परिचित की मृत्यु हो जाती है तो वह उनके अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान जाता हैं। आमतौर पर कब्रिस्तान एक दुखद स्थान माना जाता है, अधिकांशत लोग ऐसी जगह पर जाने से बचते हैं। लेकिन जर्मनी में एक ऐसा आइलैंड है जहां पर कब्रिस्तान में दफन कब्रें बोलती हैं और न सिर्फ बोलती बल्कि उन पर उनके नाम के साथ-साथ उनकी कहानियां भी लिखी हुई है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम ऐसे ही कब्रिस्तान के बारे में बात करेंगे।
कब्र को देखकर ही मिलता है जिंदगी से जुड़े सवालों का जवाब
जर्मनी में फॉहर – एमरूम नामक एक आइलैंड है, जहां कब्रिस्तान में जो कब्र दफनाई गई है उनके उपर खास ग्रेव स्टोन यानी पत्थर लगे हुए हैं, इन्हीं कारणो के चलते यहां की खबरें खास मानी जाती है। क्योंकि अन्य जगहों के कब्रिस्तान पर जो ग्रेवस्टोन लगाए जाते हैं उन पर सिर्फ मरने वालों का नाम, जन्मतिथि और उनके मरने की तारीख ही अंकित होती है लेकिन जर्मनी के इस आइलैंड में जो कब्रिस्तान मौजूद है, उनकी कब्रों पर जो ग्रेव स्टोन लगाए गए हैं उन पर मरने वालों से जुड़ी कोई खास कहानी, किस्सा या कुछ अहम बातें लिखी जाती हैं। जिन्हें देखकर मरने वाले व्यक्ति की जिंदगी से जुड़े बहुत से सवालों के जवाब मिल जाते हैं।
यह ग्रेव स्टोन कहलाते हैं टॉकिंग ग्रेव स्टोन
जर्मनी के इस आयरलैंड में स्थित इन कब्रिस्तान में जो ग्रेव स्टोन अंकित होते हैं उसे पर मरने वालों से जुड़ी कई कहानी और किस्से लिखे जाते हैं जिसके चलते यह ग्रेव स्टोन टॉकिंग ग्रेव स्टोन कहलाते हैं। 17वीं शताब्दी से पत्थरों पर कहानी लिखने की परंपरा की शुरुआत हो गई थी। यहां दफनाए हुए अधिकतर लोग नाविक होते थे, उनके पास उनकी जिंदगी से जुड़े बहुत से रोमांचक किस्से रहते थे। अम्यूजिंग प्लैनेट वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी के वेस्टर्न कोस्ट की तरफ नॉर्थ सी में यह दो आइलैंड मौजूद है, जहां अभी भी बोलने वाले ग्रेव स्टोन की परंपरा का पालन किया जाता है। यह दृश्य हमें आईलैंड पर मौजूद कई कब्रिस्तान में नजर आएगा।
क्यों अंकित है ग्रेव स्टोन पर कहानियां
17वीं सदी में यह दीप एक बहुत बड़ा व्हेलिंग सेंटर बन चुका था, जहां पर व्हेल पकड़ी जाती है। जब कभी भी डच और इंग्लिश शिप इस दीप से गुजरती थी, तो वह अवश्य यहां पर रुकती थी। यहां से लोकल लोगों को काम पर नियुक्त किया जाता था। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि इस गांव में 12 साल तक के नाबालिग बच्चों को भी नौकरी पर रख लिया गया और उन्हें वह अपने साथ व्हेल पकड़ने के लिए भी ले जाया करते थे। जब यह लोग इस आइलैंड से वापस लौटते थे, तो उनके पास समुद्र से जुड़ी बहुत सी ऐसी कहानियां होती थी, जिसे वह जाकर सबको सुनाते थे फिर यही कहानियां ग्रेव स्टोन पर अंकित कर दी जाती थी।
ग्रेव स्टोन पर लिखी जाती है यह चीजे़
इस आईलैंड पर कई ऐसे ग्रेव स्टोन होते थे, जिन पर कब्रिस्तान में दफनाए जाने वाले व्यक्ति की उम्र, जन्म तिथि और मौत की तारीख पति-पत्नी, बच्चों का नाम और उनके किस्से तक को अंकित कर दिया जाता था। कई बार जब लिखने के लिए बहुत सारी चीज़ें होती थी, तो यह फिर पीछे भी लिख दिया जाता था। गरीब व्यक्तियों का ग्रेव स्टोन रेड सैंड स्टोन से बनता था, वही अमीर लोगों का ग्रेव स्टोन सोने तक से बनाया जाता था।
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