भारत में पेरेंट्स डे 24 जुलाई को मनाया जाता है. यह परंपरा पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में शुरू हुई थी और 1994 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने इसकी शुरुआत की थी और जुलाई के चौथे रविवार को इसे मनाया जाने का फैसला किया गया था. यह दिन अपने बच्चों के प्रति माता-पिता की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए मनाया जाता हैं. माता-पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर बॉलीवुड में आए थे ये टॉप 5 स्टार्स
पेरेंट्स डे उस महत्वपूर्ण भूमिका को मनाता है जो माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में निभाते हैं और नए पेरेंट्स के स्थायी प्यार और भक्ति को पहचानते हैं. दरअसल माता-पिता बच्चों को एक बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं और उनके भविष्य के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण कर सकते हैं. क्या होती है सरोगेसी? जिससे प्रियंका बनीं मां, कौन होते हैं बायोलॉजिकल माता-पिता?
हालांकि, यह भी ध्यान रखने का दिन है कि कई बच्चे बिना माता-पिता के होते हैं. कई बच्चों की परवरिश उनके परिवार में दूसरे लोग करते हैं. जबकि कुछ के माता-पिता हैं, लेकिन कोई बायोलॉजिकल माता-पिता नहीं हैं. माता-पिता के बिना बच्चे कई चुनौतियों का सामना करते हैं और उन्हें शारीरिक और भावनात्मक देखभाल, स्थिरता, सुरक्षा और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. माता-पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर बॉलीवुड में आए थे ये टॉप 5 स्टार्स
वे बच्चे हैं जिन्होंने अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है, वे असुरक्षित हैं, उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है और वे दुनिया के किसी भी बच्चे की तरह हमारे प्यार और समर्थन के पात्र हैं. माता-पिता ने ठुकराया, एनजीओ ने अपनाया… अब मिशाल कायम करने जा रहे हैं जुड़वा भाई
यह जरूरी है कि इस दिन जब हम माता-पिता को महत्व देते हैं और उनका सम्मान करते हैं कि हम उन लोगों के बारे में भी सोचें जिन्हें दुर्भाग्यवश माता-पिता का प्यार नहीं मिला हैं.