2 जून(शुक्रवार) की शाम ओडिशा से एक ऐसी दर्दनाक खबर सामने आई. जिसने सभी को रुला दिया हैं. दरअसल भारतीय रेलवे की 3 ट्रेनें (दो एक्सप्रेस ट्रेनें और एक मालगाड़ी) एक दर्दनाक दुर्घटना का शिकार हो गई हैं. इस हादसे में अब तक लगभग 250 से अधिक लोगों की मौत की पुष्ठी हो चुकी हैं जबकि लगभग 900 लोगों के घायल होने की खबर आ रही हैं.
खबर के अनुसार हादसे में ट्रेन संख्या 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस और ट्रेन सं. 12864 SMVB – HWH सुपरफास्ट एक्सप्रेस शुक्रवार को लगभग शाम 6.55 पर ओडिशा के बालासोर जिले में बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के नजदीक पटरी से उतर गईं.
इस घटना के बाद ट्विटर पर लोग रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बार-बार ये सवाल पूछ रहे हैं कि एंटी-कोलिशन टेक्नोलॉजी ‘कवच’ इस भयानक दुर्घटना को होने से क्यों नहीं रोक पाई?.
जानिए क्या हैं एंटी-कोलिशन टेक्नोलॉजी?
एंटी-कोलिशन टेक्नोलॉजी कवच ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारत में डवलप की गई तकनीक हैं. यह तकनीक ट्रेनों के बीच होने वाली दुर्घटना को रोकने में सहायक हैं. यहां तक कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद कुछ समय पहले ये कहा था कि “स्वदेशी रूप से डवलप एंटी-कोलिशन टेक्नोलॉजी SIL4 प्रमाणित है. इस तकनीक का इस्तेमाल के बाद 10,000 वर्षों में एक त्रुटि की संभावना है.”
As the gate approaches, Kavach automatically initiates whistling without any intervention from the driver.
Auto whistle test is done successfully. ????????#BharatKaKavach pic.twitter.com/02WrSJ1MYl— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 4, 2022
कवच टेक्नोलॉजी को आसान शब्दों में समझे ये ट्रेन कोलिशन अवोइडेंस सिस्टम(TCAS) या ऑटोमैटिक ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ATP) सिस्टम के रूप में जानी जाती है. इसका मुख्य मकसद रेल एक्सीडेंट की संख्या को शून्य तक लाना है. इस तकनीक को SIL4 सर्टिफिकेट प्राप्त हैं. जोकि इस बात का भरोसा दिलाता हैं कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने से 10000 वर्षों में सिर्फ एक त्रुटी की संभावना हैं.
एंटी-कोलिशन टेक्नोलॉजी हुई फेल?
कवच तकनीक ने भारतीय रेलवे द्वारा किए गए कई परीक्षणों में अपनी प्रभावशीलता साबित की है और एंटी-कोलिशन टेक्नोलॉजी की विफलता की संभावना 10,000 वर्षों में एक त्रुटि है. लेकिन अब ये सवाल उठता हैं कि आखिर जब इंडियन रेलवे के पास इतनी अविश्वसनीय तकनीक हैं तो फिर ये दुर्घटना क्यों हुई?. इस सवाल का एक जवाब ये हैं कि कवच तकनीक अभी तक भारत के पूरे रेल नेटवर्क पर स्थापित नहीं हुई है और यह सेक्शन कवच तकनीक के बिना भी था, जिसके कारण इतना बड़ा हादसा हुआ.