मिल्खा सिंह अपने आप में एक लीजेंड हैं. उन्हें फ्लाइंग सिख के नाम से भी जाना जाता है. वह एशियाई खेलों के साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण जीतने वाले एकमात्र एथलीट हैं. उन्होंने एक भारतीय ट्रैक और फील्ड स्प्रिंटर के रूप में खेल के क्षेत्र में बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त की. सिंह ने 1958 में और फिर 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते. उन्होंने ने 1956 में मेलबर्न में समर ओलंपिक, रोम में 1960 के समर ओलंपिक और बाद में टोक्यो में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. दिवगंत दिग्गज को चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया जा चूका हैं. उन्होंने भविष्य के कई युवा एथलीटों के लिए प्रेरणा बनकर अपने देश को गौरवान्वित किया है. इसके अलावा, मिल्खा सिंह की प्रतिमा को नई दिल्ली, भारत में मैडम तुसाद संग्रहालय में रखा गया है. इस शख्स ने अपने पीछे एक ऐसी कहानी छोड़ी है जो कई लोगों के लिए प्रेरणा बनेगी. अपनी विरासत को पीछे छोड़ते हुए महान एथलीट का निधन हो चूका हैं.
मिल्खा सिंह की नेट वर्थ
मिल्खा सिंह की कुल संपत्ति 5 मिलियन डॉलर आंकी गई है. बंटवारे के दौरान अपने पूरे परिवार को खो देने के बाद मिल्खा को बचपन में बहुत कठिनाई और आघात का सामना करना पड़ा था. वह बाद में अपनी विवाहित बहन के परिवार के साथ थोड़े समय के लिए रहा. भारतीय सेना में शामिल होने के बाद उन्हें जीवन में एक नया उद्देश्य मिला. सेना में शामिल होने के बाद उन्हें दौड़ने के लिए एक ट्रैक मिल गया, जिसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
91 साल की उम्र में हुआ निधन
एथलेटिक्स में भारत का नाम रोशन करने वाले मिल्खा सिंह ने 18 जून 2021 को दुनिया को अलविदा कह दिया. भारत के महान मिल्खा लगभग एक महीनें से कोरोना से जूझ रहे थे. 91 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सास ली. दिग्गज के परिवार में उनका बेटा जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं. जबकि उनके निधन से कुछ दिनों पहले ही उनकी पत्नी ने भी कोरोना के कारण दुनिया कह दिया था.