टोक्यो ओलंपिक में भारत ने केवल 1 स्वर्ण पदक जीता था. नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन किया. उनकी इस जीत में एक शख्स की भूमिका काफी अहम हैं, वो शख्स नीरज के कोच उवे हॉन हैं. पूर्व विश्व रिकॉर्ड धारक और राष्ट्रीय भाला फेंक कोच उवे हॉन का कॉन्ट्रैक्ट टोक्यो ओलंपिक 2020 के बाद खत्म हो रहा हैं. जिसके बाद माना ये जा रहा हैं कि वह अपने देश वापसी लौट जाएगे, क्योंकि उनके कॉन्ट्रैक्ट को आगे बढाने की संभावना न के सामान हैं.
जर्मनी के 59 वर्षीय कोच को नवंबर 2017 में एक वर्ष के लिए मुख्य कोच नियुक्त किया गया था और उन्हें भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा, शिवपाल सिंह और अनु रानी को ट्रेनिंग देनी थी. इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, “हॉन जा रहे हैं. भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा उनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाने की संभावना नहीं है.”
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो हॉन ने अपनी सैलरी में 50 फीसदी बढ़ोतरी और इसे करमुक्त करने के अलावा फ्लाइट के प्रथम श्रेणी के टिकटों की मांग की थी.
उनका ओरिग्नल कॉन्ट्रैक्ट 1.09 करोड़ रुपये प्रति वर्ष था, साथ ही बोर्डिंग, लॉजिंग, चिकित्सा सुविधाएं भी शामिल थी. वह अक्टूबर 2020 में कॉन्ट्रैक्ट रीन्यू होने के दौरान इसे बढ़ाकर 1.64 करोड़ रुपये प्रति वर्ष करना चाहते थे. भारतीय खेल प्राधिकरण(SAI) ने यह भी बताया था कि उसने एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सिफारिश पर एक और विदेशी भाला फेंक कोच, बायो-मशीन एक्सपर्ट डॉ क्लॉस बार्टोनिएट्स को काफी खर्च पर नियुक्त किया था.
SAI के सूत्रों ने कहा, “SAI ने 2020 में उन्हें सूचित किया था कि उनकी मांगें अनुचित और अस्वीकार्य थीं क्योंकि थ्रोअर्स के प्रशिक्षण के परिणाम में 55 लाख रुपये की वृद्धि की आवश्यकता नहीं थी.”एएफआई ने स्पष्ट कर दिया है कि हॉन को छोड़कर क्लॉस के साथ ट्रेनिंग करना चोपड़ा की पसंद थी. चोपड़ा ने खुद कहा था कि वह हॉन का सम्मान करते हैं लेकिन जर्मन के ट्रेनिंग के तरीके और तकनीकी दृष्टिकोण उनकी पसंद के अनुसार नहीं थे.
नीरज चोपड़ा ने मंगलवार को गोल्ड जीतने के बाद कहा, “मैं हॉन सर का सम्मान करता हूँ, मैंने 2018 एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में उनके अंदर स्वर्ण पदक जीता. लेकिन उनका तकनीकी दृष्टिकोण और प्रशिक्षण की शैली अलग थी. मैंने उनसे कहा कि मैं क्लॉस सर के साथ काम करना चाहता हूँ.”
“उनकी (क्लॉस की) ट्रेनिंग प्लानिंग अच्छी थीं और मेरे अनुकूल थीं. वह एथलीट के शरीर के अनुसार ट्रेनिंग की योजना बनाता है, उसने विभिन्न देशों में बहुत सारे एथलीटों के साथ भी काम किया है.”