Yashasvi Jaiswal : मुंबई इंडियंस के खिलाफ मुंबई के खिलाफ वानखेड़े के मैदान पर सिर्फ 62 गेंदों पर 16 चौके और 8 छक्कों की मदद से 124 रनों की पारी खेलने वाले यशस्वी जायसवाल इन दिनों छाए हुए हैं. दरअसल उन्होंने आईपीएल 2023 में अब तक सबसे अधिक रन बनाए. आज ये युवा बल्लेबाज दुनियाभर में पहचाना जानें लगा हैं हालाँकि उनका यहां तक का सफर आसान नहीं रहा हैं. आज इस लेख में हम उनकी प्रेरणादायक कहानी के बारे में जानेगे.
11 साल की उम्र में मुंबई आए थे Yashasvi Jaiswal

यशस्वी जायसवाल का जन्म उत्तरप्रदेश के भदोई में हुआ था हालंकि जब वह सिर्फ 11 साल के थे तब वह मुंबई आ गए थे. दरअसल उन्होंने बेहद छोटी उम्र में ही क्रिकेट खेलने का मन बना लिया था जोकि उन्हें मुंबई खिंच लाया.
भदोई में यशस्वी जायसवाल के पिता की एक छोटी सी पेंट की एक दूकान हुआ करती थी. यशस्वी के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी. ऐसे में मुंबई में उनके लिए रहना आसान नहीं था लेकिन फिर उनके पिता ने बड़ी मशक्कत से बेटे के रहने का इंतज़ाम जान पहचान के एक तबेले में करवा दिया. हालाँकि उन्हें एक शर्त पर रहने की जगह मिली थी कि उन्हें तबेले में काम करना पड़ेगा. वह सुबह 5 बजे उठ कर तबेले में मदद करते फिर आज़ाद मैदान में क्रिकेट के गुण सीखते थे. ALSO READ : पिता थे सफाई कर्मचारी.. बेटा काबिलियत के दम पर बना मिस्ट्री गेंदबाज.. पढ़े सुनील नतायण की दिलचस्प कहानी
Yashasvi Jaiswal का गोलगप्पे और चाट बेचने से लेकर IPL तक का सफर

यशस्वी जायसवाल के लिए कुछ दिनों तक सब अच्छे से चलता रहा लेकिन फिर एक दिन तबेले वाले ने उन्हें वहां से निकाल दिया. जिसके बाद वह अपना सामान उठाकर आजाद मैदान आ गए और वहां मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में टेंट में रहने वाले हैं. एक बेहद हैरानी वाली बात ये हैं कि टेंट में बिजली और टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधा भी नहीं थी.
बेसिक सुविधा न होने के बावजूद उसी टेंट में उन्होंने मुस्लिम ग्राउंड्समैन के साथ 3 साल गुजारे. पैसे की तंगी के कारण यशस्वी ने गोलगप्पे और चाट बेचने का भी काम किया. बताया जाता हैं कि एक बार उनके गोलगप्पे के ठेले पर वही लड़के आए, जिसके साथ वह क्रिकेट खेला करते थे. उन लड़कों को देखकर यशस्वी अपना गोलगप्पे का स्टाल छोड़कर भाग गए थे. लेकिन फिर भी उन्होंने प्रैक्टिस जारी रखी. इस युवा खिलाड़ी ने एक बार बताया था कि वह अगर क्रिकेटर नहीं बनते थे और वह सेना में जाते.
कई सालों तक मुश्किलों का सामना करने के बाद यशस्वी ने हार नहीं मानी और फिर मुलाकात स्थानीय कोच ज्वाला सिंह से हुई. उन्होंने यशस्वी के लिए क्रिकेटिंग जूते ख़रीदे, क्रिकेट किट खरीदकर दी और रहने के लिए कमरें का बंदोबस्त किया. दरअसल ज्वाला सिंह की कहानी भी यशस्वी की जगह थी लेकिन उनकी किसी ने मदद नहीं की. ALSO READ: मोहमम्द कैफ और कैटरीना कैफ के बीच क्या रिश्ता हैं? आखिरकार क्रिकेटर ने बता दी सच्चाई
विजय हज़ारे में 200 रन बनाने के बाद लाइमलाइट में आए Yashasvi Jaiswal

ज्वाला की मदद से यशस्वी ने यूनियन क्लब ज्वाइन किया. इस दौरान पूर्व इंडियन कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने उन्हें बतौर क्लब खिलाड़ी इंग्लैंड में खेलने भेजा. इसके बाद उन्होंने अंडर16, 19 और 23 क्रिकेट खेला. लेकिन सबसे पहले सुर्ख़ियों में वह तब आए जब उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में सबसे कम उम्र में 200 रनों की पारी खेली.
अंडर 19 क्रिकेटर के तौर पर राहुल द्रविड़ की कोचिंग में खेलने के बाद उनके खेल में काफी सुधार आया था और उन्हें साल 2020 की आईपीएल नीलामी में राजस्थान रॉयल ने 2 करोड़ 40 लाख रूपए में ख़रीदा. इसके बाद से उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा हैं. ALSO READ: 5 ऐसे खिलाड़ी जिन्होंने बेहद ग़रीबी से लड़कर क्रिकेट में बड़ा मुक़ाम हासिल किया