ज्यादातर प्रोफेशनल अपने करियर के दौरान हमेशा एक अल्टरनेटिव काम के बारे में जरुर सोचते हैं. दिलचस्प बात ये हैं कि अरबपति भी ऐसा ही करते हैं. कुछ समय पहले टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने कहा कि अगर वह 100 अरब डॉलर के टाटा साम्राज्य का नेतृत्व नहीं कर रहे होते तो वे आर्किटेक्चर में अपना करियर बनाते. जानिए क्यों नहीं हो पाई रतन टाटा की शादी… जब बिजनेस टाइकून ने खुद बताई थी वजह
रतन टाटा ने एक क्यू एंड ए के दौरान कहा जिसे उन्होंने 2020 में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपलोड किया था.
“मैं हमेशा एक आर्किटेक्ट बनना चाहता था क्योंकि यह हुमानिस्म की गहरी भावना प्रदान करता है. साथ ही, आर्किटेक्चर ने मुझे काफी प्रेरित किया है और मुझे उस फील्ड में काफी दिलचस्पी थी. लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक इंजीनियर बनूं और मैंने इंजीनियरिंग में दो साल बिताए.”
दिग्गज कारोबारी ने ये भी कहा कि उन्हें इस प्रोफेशन से काफी फायदा हुआ क्योंकि इसने हुमानिस्म की गहरी भावना को डवलप करने में काफी मदद की, जिसकी उन्हें बाद में लाइफ में स्पेशली ‘चीजों को एक साथ रखते हुए’ आवश्यकता होगी. बॉलीवुड की इस अभिनेत्री को डेट कर चुके हैं रतन टाटा.. नहीं हो पाई शादी तो आज भी हैं कुंवारे
साल में 1959 में मशहूर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल करने के बाद भी ऑक्टोजेरियन अरबपति रतन टाटा लंबे समय तक अपने प्रोफेशन को आगे नहीं बढ़ाया जिसके लिए उन्हें काफी मलाल होता हैं.,
रतन टाटा ने कहा, “मुझे कभी भी एक आर्किटेक्ट होने पर पछतावा नहीं हुआ. लेकिन मुझे सिर्फ इस बात का मलाल है कि मैं लंबे समय तक इसकी प्रैक्टिस नहीं कर पाया.”
कैसे बनें टाटा जी समूह के अध्यक्ष?
रतन टाटा ने साल 1970 तक टाटा ग्रुप की अलग –अलग कंपनियों के लिए काम किया. इसके बाद 1971 में उन्हें प्रोमोशन देकर टाटा ग्रुप के मैनेजमेंट प्रोग्राम में शामिल किया गया. फिर जल्द ही उन्हें टाटा के टीवी और रेडियो बनाने वाली कंपनी ‘Nelco’ को कमान दी गयी, जोकि लम्बे समय से घाटे में चल रही थी लेकिन रतन टाटा केवल 3 साल की मेहनत के बाद नेलको कंपनी को आगे बढ़ाया और कंपनी के मार्केट शेयर को 2% से 20% तक बढ़ाया. आनंद महिंद्रा से लेकर रतन टाटा तक जानिए जवानी के दिनों में कैसे दिखते थे टॉप 5 भारतीय बिजनेसमैन
साल 1981 आते-आते जेअरडी टाटा ने रतन टाटा की मेहनत और काबिलियत को देखते हुए उन्हें टाटा ग्रुप का अध्यक्ष बनाया गया. फिर रतन टाटा के अध्यक्ष बनने के 10 वर्ष बाद सन 1991 में JRD TATA ने उन्हें टाटा ग्रुप का नया चेयरमैन बनाया और फिर उसके बाद टाटा ग्रुप ने खूब ऊँचाइयाँ छुई.