Aditya -L1 Mission : 2 सितंबर 2023 को शुरू हुई आदित्य की यात्रा अब समाप्त हो चुकी है। जी हां शनिवार 6 जनवरी को भारत का सूर्य मिशन आदित्य L1 अपने लक्ष्य तक पहुंचने में कामयाब रहा। इसी के साथ भारत ने अंतरिक्ष में एक और इतिहास रच डाला। 400 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ यह मिशन दुनिया भर के सैटेलाइट्स को सौर तूफानों से बचाएगा। इस ऐतिहासिक सफलता को लेकर भारत के वैज्ञानिकों को दुनिया भर से लगातार बधाइयां मिल रही हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो की इस सफलतापूर्वक कामयाबी पर बधाइयां दी। उन्होंने कहा कि
“भारत एक और उपलब्धि हासिल करने में कामयाब रहा। भारत की पहली सौर वैधशाला आदित्य L1 सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य तक पहुंचने में कामयाब रही, इसी के साथ उन्होंने भारत के वैज्ञानिकों को अथक समर्पण का प्रमाण बताया।”
प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो को दी बधाई
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी, और साथ ही कहा कि
“भारत एक और उपलब्धि हासिल करने में कामयाब रहा। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे”।
इसरो के काम की केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी की सराहना
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसरो की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि ‘चांद से लेकर सूर्य तक हम’!
साथ ही उन्होंने बताया कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में टीम इसरो द्वारा एक और सफलता की कहानी लिखी गई। Aditya L1 सूर्य पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज करने के लिए आखिर अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है”।
आदित्य L1 मिशन की कब हुई शुरुआत
2 सितंबर 2023 को लॉन्च के बाद आदित्य 16 दिनों तक धरती के चारों तरफ चक्कर लगाता रहा। इस दौरान पांच बार ऑर्बिट बदला गया, ताकि उसे सही गति मिल सके। फिर आदित्य को ट्रांस – लैरेंजियन 1 ऑर्बिट में भेजा गया, जहां से उसकी 109 दिनों की लंबी यात्रा की शुरुआत हुई। जैसे ही आदित्य L1 पर पहुंचा, उसकी एक ऑर्बिट मैन्यूवरिंग कराई गई, ताकि L1 पॉइंट के चारों तरफ मौजूद हैलो ऑर्बिट में चक्कर लगाता रहे।
जानकारी के लिए बता दे की आदित्य L1 पॉइंट के पास की कक्षा में रखे गए सेटेलाइट से बिना किसी छाया के सूर्य को लगातार देखा जा सकेगा। इसका उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य की तरफ होंगे, शेष तीन पेलोड L1 पर ही क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे। 5 साल के इस मिशन के दौरान इसी स्थान से आदित्य सूर्य का अध्ययन करेगा।
क्या है आदित्य एल-1
आदित्य एल-1 सूर्य का अध्ययन करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जरवेटरी है। यह सूरज से इतनी अधिक दूर पर स्थित होगा, कि उसे गर्मी तो लगे लेकिन वह खराब ना हो सके। 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ‘आदित्य’ के साथ ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी – सी 57) ने उड़ान भरी थी।
किस तरह से आदित्य एल -1 करेगा काम
जानकारी के मुताबिक आदित्य एल -1 का विजिबल एमिशन लाइन कोरोना ग्राफ (वीईएलसी) पेलोड सीएमई की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। इसके साथ-साथ वह सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की तस्वीरें भी लेगा।
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