जैसा कि आप जानते हैं सावन का महीना चल रहा है और इस महीने में आपको चारों तरफ कावड़िया नजर आएंगे। इस समय करोड़ों लाखों भक्त कावड़ लेकर उत्तराखंड की तरफ जा रहे हैं। गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक कावड़ की धूम मची हुई है, परंतु क्या आप जानते हैं कांवड़ कितने प्रकार की होती है और सबसे मुश्किल कांवड़ कौन सी मानी जाती है। अगर नहीं तो आइए आज हम आपको इस बात की जानकारी देते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कावड़ मुख्यतः चार प्रकार की होती है, जिसमें सबसे पहली सामान्य कावड़ होती है जिसमें कावड़िए कावड़ यात्रा के दौरान आराम करते हैं। इसके बाद दूसरी कावड़ आती है जिसे डाक कावड़ कहते हैं यह कावड़ बिना रुके होती है। तीसरी कावड़ खड़ी कावड़ इसमें उनकी मदद के लिए कोई ना कोई सहयोगी हमेशा उनके साथ रहता है। इसके बाद आती है चौथी कावड़ इसमें भक्त यात्रा दंड देते हुए पूरी करते हैं, परंतु इन सब में सबसे मुश्किल डाक कावड़ मानी जाती है।
आखिरकार डाक कावड़ सबसे ज्यादा मुश्किल क्यों मानी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस कांवड़ के दौरान यात्री विश्राम नहीं कर सकते हैं। जब यह कावड़ एक बार उठा लेते हैं तब वह अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच कर ही रुकते हैं। डाक कावड़ एक निश्चित समय सीमा के अंदर शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। अगर इसका कोई नियम तोड़ता है तो यह यात्रा खंडित हो जाती है। ज्यादातर डाक कावड़िया समूह में चलते हैं परंतु कभी-कभी किसी वाहन का भी इस्तेमाल करते हैं।
डाक कावड़ के दौरान केवल सात्विक भोजन ही किया जाता है। बिना रुके पूरी यात्रा करनी होती है। इस यात्रा में शुद्धि के साथ मन की शुद्धि की भी सलाह दी जाती है। यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का नशा करना वर्जित माना गया है। बिना गंगा स्नान के कावड़ को हाथ नहीं लगा सकते हैं। इस कावड़ को जमीन पर या सिर पर रखने की मनाही होती है। पहली कावड़ यात्रा श्रवण कुमार के द्वारा की गई थी। श्रवण कुमार ने अपने माता पिता को कावड़ में बैठाया और हरिद्वार लाए और उन्हें गंगा स्नान करवाया था। Also Read :केदारनाथ-बद्रीनाथ सहित चारधाम यात्रा के लिए सरकार ने बनाया ये खास प्लान…अब होगी भक्तों की मौज