Religious Facts: पुराणों और शास्त्रों में दान के अलग-अलग महत्व है। दान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में लोग दान में विश्वास रखते हैं और तमाम प्रकार के दान को लोग करते हैं। ऐसा ही कुछ होता है जब लोग भंडारे का आयोजन कर लोगों का पेट भरने का पुण्य काम करते हैं। ज्येष्ठ मास में लोग भंडारे का आयोजन करते हैं। जहां लोग भंडारे के प्रसाद को ग्रहण करते हैं। लेकिन भंडारे में खाना चाहिए यह नहीं यह सवाल सभी लोगों के मन में उठता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए इस बारे में बताएंगे कि भंडारे का प्रसाद को खाना चाहिए या नहीं।
निर्धन की सहायता के लिए किया जाता है भंडारे का आयोजन (Religious Facts)

भंडारे का आयोजन गरीब और निर्धन लोगों के लिए किया जाता है। ऐसे में भंडारा खा कर उनका पेट भरता है। भंडारे का आयोजन ज्येष्ठ मास में किया जाता है। शास्त्र और पुराण में कई जगह पर देखने को मिलता है। लोग गरीबों जरूरतमंदों को भोजन वस्त्र वितरित करते हैं। जिससे भंडारे की परंपरा भी शुरू हुई। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि भंडारे का ग्रहण करना चाहिए या नहीं।
भंडारे के प्रसाद को नहीं करना चाहिए ग्रहण (Religious Facts)

भंडारे का आयोजन गरीब लोगों की मदद के लिए किया जाता है। किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा भंडारा किया जाता है। भंडारे में भूखे लोग खाते हैं। भंडारे में लोग अपने हाथों से सहायता देते हैं। अगर कोई भंडारे में धन नहीं दे सकता है तो अपने शरीर से लोगों की मदद करता है। धनराशि देने का सेवा करने के बाद वहां भंडारा खाने से कोई दोष नहीं लगता है। वहीं जेष्ठ मास में जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाता है और लोग जमकर भीड़ लगाकर भंडारे के प्रसाद का लुफ्त उठाते हैं। लेकिन बिना भंडारे में सहयोग किए प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए।
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