3 दिन पहले तक एकदम ठीक थे रतन टाटा फिर किस बिमारी से हुआ उनका निधन

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रतन टाटा भारतीय उद्योग के एक महानायक, का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ। उनकी उम्र 86 वर्ष थी और उन्होंने लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया। उनके निधन की खबर ने पूरे देश को शोक में डाल दिया है, क्योंकि वे न केवल एक सफल व्यवसायी थे, बल्कि एक दयालु और समर्पित व्यक्ति भी थे।

रतन टाटा का स्वास्थ्य और अंतिम दिन

रतन टाटा

रतन टाटा को अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहाँ वे नियमित चिकित्सा जांच के लिए गए थे। हालांकि, उनकी स्थिति अचानक बिगड़ गई और उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में गहन देखभाल में रखा गया था। उनके स्वास्थ्य के बारे में पहले से ही कुछ चिंताएँ थीं, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा था कि उन्हें किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया था कि वे उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं और नियमित जांच करवा रहे हैं।

उनकी मृत्यु के कारणों को लेकर विभिन्न अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, निम्न रक्तचाप और उम्र से संबंधित जटिलताएँ उनके निधन में योगदान कर सकती हैं।

 रतन टाटा का योगदान

रतन टाटा ने 1991 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में, टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जैसे कि जगुआर लैंड रोवर और टेटली। उन्होंने समूह को एक वैश्विक शक्ति में बदलने के लिए कई प्रयास किए और इसके लिए उन्हें व्यापक प्रशंसा मिली।

उनकी दृष्टि और नेतृत्व ने टाटा समूह को $165 बिलियन की वार्षिक आय तक पहुँचाया, जो कि 1991 में केवल $4 बिलियन थी। रतन टाटा ने न केवल व्यवसाय में सफलता हासिल की, बल्कि समाज सेवा के लिए भी उनकी प्रतिबद्धता अद्वितीय थी। उन्होंने कई शैक्षिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलों का समर्थन किया, जिससे लाखों लोगों का जीवन बेहतर हुआ।

समाज पर प्रभाव

रतन टाटा की मृत्यु पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य प्रमुख नेताओं ने शोक व्यक्त किया। मोदी ने उन्हें एक “दृष्टिवान नेता” और “दयालु आत्मा” बताया, जिनका प्रभाव केवल व्यापार तक सीमित नहीं था, बल्कि समाज के उत्थान में भी महत्वपूर्ण था।

उनकी मृत्यु के बाद, भारत भर में शोक व्यक्त किया गया है। कई उद्योगपतियों ने भी अपनी संवेदनाएँ व्यक्त की हैं और रतन टाटा को एक प्रेरणादायक व्यक्ति बताया है।

 अंतिम संस्कार

रतन टाटा का अंतिम संस्कार मुंबई में किया गया। उनके शरीर को पहले राष्ट्रीय कला केंद्र (NCPA) में रखा गया ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार वर्ली में हुआ।

रतन टाटा का निधन न केवल उनके परिवार और मित्रों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी उपलब्धियाँ और मानवता के प्रति उनका समर्पण सदैव याद रखा जाएगा।

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