मोनिका बेदी एक भारतीय अभिनेत्री और टेलीविजन प्रेसेंटर हैं. उन्होंने 90 के दशक के मध्य में हिंदी फिल्मों में शुरुआत की और उनकी कुछ यादगार फिल्मों में ‘प्यार इश्क’ और ‘मोहब्बत’ और ‘जोड़ी नंबर’ 1 शामिल हैं. इस एक्ट्रेस को बिग बॉस 2 में हिस्सा लेने और 2013 से 2014 तक स्टार प्लस के सरस्वतीचंद्र में गुमान कौर व्यास की भूमिका निभाने के लिए भी जाना जाता हैं. आज इस लेख में हम मोनिका बेदी की नेट वर्थ जानेगे.
मोनिका बेदी का करियर
बेदी को पहली बार तेलुगु भाषा की फिल्म ताजमहल (1995) में दिखाई दी थी. इस फिल्म का जिनिर्माण डी. रामनैडु ने किया था. रामनैदु ने उन्हें सिवैया और स्पीड डांसर में भी कास्ट किया. उन्होंने 1995 में सुरक्षा फिल्म के साथ बॉलीवुड में डेब्यू किया.
बेदी टेलीविजन रियलिटी शो बिग बॉस सीजन 2 में प्रतिभागी थीं. इसके आलावा वह रियलिटी शो झलक दिखला जा 3 और देसी गर्ल की प्रतियोगियों में से एक थीं. उन्होंने यूनिवर्सल म्यूजिक पर एक आध्यात्मिक म्यूजिक एल्बम के लिए ‘एक ओंकार’ मंत्र भी गाया हैं.
बेदी ने हरजीत सिंह रिकी द्वारा निर्देशित पंजाबी फिल्म सिरफिरे (2012) में काम किया. 2013 में, बेदी ने स्टार प्लस के शो सरस्वतीचंद्र में घुम्मन की नेगिटिव भूमिका निभाई थी.
मोनिका बेदी की कुल संपत्ति
बॉलीवुड अदाकारा मोनिका बेदी ने इंडस्ट्री से खूब कमाई की हैं. idolnetworth.com अनुसार एक्ट्रेस की कुल संपत्ति 1-5 मिलियन डॉलर हैं. उनकी कमाई का मुख्य स्रोत एक्टिंग से आता हैं. अभिनेत्री कई बड़े ब्रांड्स के विज्ञापनों में दिखाई दी हैं, जिससे उन्होंने मोटी कमाई की हैं.
मोनिका बेदी की पर्सनल लाइफ
बेदी एक पंजाबी परिवार से संबंध रखती हैं और उनका जन्म पंजाब के होशियारपुर जिले के छब्बेवाल गांव में प्रेम कुमार बेदी और शकुंतला बेदी के घर हुआ था. उनके माता-पिता 1979 में नॉर्वे के ड्रामामेन चले गए. भारत में ग्रेजुएट की पढ़ाई के अंत में, उन्होंने साहित्य पढ़ने के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम में भाग लिया. इसके साथ ही, उनकी अभिनय शिक्षा 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय में पूरी हुई.
सितंबर 2002 में बेदी और अबू सलेम को गिरफ्तार किया गया और बाद में उन्होंने जाली दस्तावेजों पर देश में प्रवेश करने के लिए पुर्तगाल में जेल की सजा काटी. 2006 में एक भारतीय अदालत ने बेदी को फर्जी नाम से पासपोर्ट हासिल करने के लिए दोषी ठहराया. नवंबर 2010 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा लेकिन जेल की सजा को अवधि कम कर दिया, जो वह पहले ही काट चुकी थी.