आज हर दूसरी फिल्म में हीरो-हीरोइन को किसिंग सीन करते हुए बड़ी सहजता से देखा जा सकता हैं। बॉलिवुड की तकरीबन हर ऐक्ट्रेस पर्दे पर कभी न कभी एक धमाकेदार किसिंग सीन देकर हमेशा ही सनसनी मचा चुकी हैं। पर्दे पर किसिंग सीन देने में हमारे ऐक्टर्स बिल्कुल भी पीछे नहीं रहते है। कभी इमरान हाशमी एक जमाने के सीरियल किसर माने जाते थे। लेकिन फिल्म ‘शिवाय’ में अजय देवगन तक ने ‘नो किसिंग सीन’ के अपने नो किसिंग पॉलिसी को तोड़ दिया। कार्तिक आर्यन, रणबीर कपूर, रणवीर सिंह,वरुण धवन जैसे यंग स्टार हों या अक्षय कुमार, रितिक रोशन, जॉन अब्राहम सरीखे कई सारे सीनियर स्टार, इन सभी द्वारा दिए गए किसिंग सीन हमेशा ही दर्शकों में चर्चा का विषय रहे हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि साठ-सत्तर के दशक में ऐक्टर और ऐक्ट्रेसेस के बीच किसिंग की सिचुएशन बनते ही प्रतीकात्मक तरीके से दो फूलों का मिलना या फिर किसी हरे-भरे पेड़ के पीछे जाकर सिर टकराने को ही दर्शकों द्वारा किस मान लिया जाता था।
ललिता पवार ने दिया था पहली बाद फिल्मी पर्दे पर किसिंग सीन
यह बात बहुत ही कम लोगों को पता है कि लेकिन बेहद ही दिलचस्प है कि 30-40 के दशक में भी ऐक्ट्रेसेस इस मामले में काफी ज्यादा बिंदास हुआ करती थीं। साल 1930 में रिलीज हुई फिल्म ‘आलम आरा’ से हिंदी फिल्मों ने भले ही पहली बार बोलना सीख लिया हो, मगर किसिंग सीन के मामले में उस दौर का सिनेमा अपने समय से कहीं ज्यादा आगे चुका था। 1929 में रिलीज हुई मूक फिल्म ‘अ थ्रो ऑफ डाइस’ में सीता देवी पहली ऐसी हीरोइन बन गई थीं, जिन्होंने पर्दे पर चारू रॉय संग किसिंग सीन दे दिया था।विनोद खन्ना के साथ किसिंग सीन के लिए माधुरी को मिले थे 1 करोड़, ये थी वजह
खैर इसके बाद लंबे अरसे तक पर्दे से नदारद रहा लिपलॉक सीन
साल 1947 में स्थापित हुए फिल्म एडवाइजरी बोर्ड के 1952 के सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत किसिंग सीन को अश्लील और अशोभनीय करार देते हुए उसे फिल्मों से बिल्कुल बैन कर दिया गया था। उसके बाद फिल्मों में सिम्बॉलिक रूप से किसिंग सीन फिल्माने का सिलसिला चल निकला था।
माधुरी से लेकर जूही और करिश्मा तक, इनके किस पर मचा था खूब शोर
साल 1988 मे रिलीज हुई ‘दयावान’ में माधुरी दीक्षित-विनोद खन्ना,और उसी साल रिलीज की गई ‘कयामत से कयामत तक’ में जूही चावला-आमिर खान द्वारा कई सारे किससिंग सीन दिए गए थे। साल 1996 में रिलीज हुई ‘राजा हिंदुस्तानी’ में आमिर-करिश्मा के किसिंग सीन्स ने खूब कहर ढा दिया था, तो साल 2000 में सिनेमा हॉल में दिखी कमल हासन की ‘हे राम’ में रानी मुखर्जी के साथ उनकी स्मूचिंग सीन ने बहुत ही ज्यादा सुर्खियां बटोरी थी।
‘किस कर-कर के तो मेरे होंठ सूज गए हैं यार’
अपनी तकरीबन हर हीरोइन के साथ किसिंग सीन देकर इमरान हाशमी द्वारा बॉलिवुड में ‘सीरियल किसर’ टर्म ईजाद कर दिया था। गैंगस्टर’, ‘किलर’, ‘द ट्रेन’, ‘राज 2′,’मर्डर’, ‘आशिक बनाया आपने’, ‘तुमसे नहीं देखा’, ‘ ‘तुम मिले’, ‘जन्नत’, ‘क्रूक’, ‘द डर्टी पिक्चर’, ‘एक थी डायन’ और ‘मर्डर 2’ जैसी कई सारी फिल्मों में इमरान द्वारा ऐक्ट्रेसेस के होंठ से खूब होंठ मिलाए गए थे।
शाहरुख ने भी तोड़ी है अपनी नो किसिंग पॉलिसी
दूसरी ओर, बादशाह खान यानी शाहरुख जैसे एक्टर भी हैं, जिन्होंने ऑनस्क्रीन किस न करने की परंपरा को लंबे समय तक एक दम ढंग से अपनाए रखा था, लेकिन फिल्मों में 20 साल के ब्लॉकबस्टर करियर के बाद आखिरकार ‘जब तक है जान’ में कटरीना कैफ के साथ उन्होंने इस तरह के किसिंग सीन देकर एक अरसे तक लोगों को एक मजेदार चर्चा का विषय दे दिया था।जानिए 2001 में कितने करोड़ में खरीदा था शाहरुख ने अपना आलीशान घर ‘मन्नत’
ए-लिस्टेड कलाकार भी पीछे नहीं रहे है किसिंग सीन देने में
किसिंग सीन्स के मामले में ए-लिस्टेड कलाकार भी बिल्कुल पीछे नहीं रहते है। बॉलिवुड की क्लियोपेट्रा कही जाने वाली जानी-मानी अभिनेत्री रेखा द्वारा भी किसिंग सीन्स से कभी भी परहेज नहीं किया गया था। कई साल पहले आई ‘दो शिकारी’ में उन्होंने बिश्वजीत के साथ इस तरह के कई सारे अंतरंग दृश्य दिए गए थे और उसके बाद अधेड़ उम्र में ‘आस्था’ में ओम पुरी और नवीन निश्चल के साथ उनके किसिंग सीन ने लोगों को एक दम से ही सकते में डाल दिया था।
‘ऐक्ट्रेस के रूप में बहुत ही ज्यादा बेशरम होना पड़ता है’
हालांकि, एक दिलचस्प पेच इधर भी आ जाता है। शादी के बाद ज्यादातर हीरोइन द्वारा लिप लॉक सीन से पल्ला झाड़ लिया जाता है। विद्या बालन का कहना है, ‘एक लड़की के रूप में आपको हमेशा झिझक और शर्म महसूस तो जरूर होती है, मगर एक ऐक्ट्रेस को पर्दे पर बेशरम ही होना पड़ता है।’ वहीं निखिल आडवाणी की ‘कट्टी-बट्टी’ में ‘स्टॉप मोशन तकनीक’ से तीन दिन तक किसिंग सीन की शूटिंग करने वाली कंगना रनौत द्वारा एक एक इंटरव्यू में कहा गया था, ‘ऑकवार्डनेस तो जरूर होती है, मगर जल्द ही इस तरह के सीन मजेदार न होकर एक तरह से मैकेनिकल ही हो जाते हैं।’
.