इस समय देखा जाये तो हर किसी की नजरें भारत के मून मिशन Chandrayaan 3 पर ही टिकी हुई है। देखा जाये तो अब जल्द ही Chandrayaan 3 23 अगस्त को चंद्रमा के सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है। 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे Chandrayaan 3 के चंद्रमा के सीने पर उतरने के बाद हर तरफ भारत को आर्थिक रूप से फायदा मिलना संभावित हो जाएगा।
उसी तरह भारत की चाँद पर जाने की ये लगातार दूसरी कोशिश है। अगर ISRO द्वारा भेजा गया तीसरा मून मिशन Chandrayaan 3 सफल हो जाता है तो भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश हो जाएगा।
भारत के द्वारा लॉन्च किया गया Chandrayaan 3 मिशन अगर सफल हो जाता है तो इससे हमारे देश को आर्थिक फायदा होने की संभावना है। जैसा कि पहले भी देखा गया है कि स्पेस से जुड़ी कोशिशें करने के बाद लोगों को रोजमर्रा जिंदगी में काफी फायदे मिले है। जिनमें स्टारलिंक की तरफ से दुनियाभर में इंटरनेट का प्रसार, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर वाटर रिसाइकिल के साथ साफ पानी ढूढ़ना, सोलर ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोतरी और हेल्थ टेक्नोलॉजी शामिल है।
इसके अलावा स्पेस फाउंडेशन की सालाना रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लोबल स्पेस इकोनामी में अब पिछले दशक के मुकाबले 91% बढ़ोतरी दिख रहा है। आपको बता दें कि 2023 की दूसरी तिमाही में ये 546 अरब डॉलर के मूल्य पर आ चुकी है।
इस तरह बजेगा भारत का डंका
- • भारत की पहली कोशिश में ही Chandrayaan 1 चांद की सतह पर लैंडिंग करने में सफल रहा था और इससे चांद की सतह पर पानी होने के सबूत भी मिले हैं। लेकिन ISRO ने ये मिशन 2 साल के लिए रखा था जिसका 312 दिन में ही सम्पर्क टूट गया गया।
• भारत के मिशन से चंद्रमा पर लैंडिंग से भारत के टेक्नोलॉजी पावर का दुनिया को पता चलेगा और 2025 तक भारत की स्पेस इकोनामी करीब 13 अरब डालर पहुंच जाने की उम्मीद है।
• हालांकि अमेरिका की स्पेस कंपनी NASA ने 50 साल पहले अपनों मिशन के द्वारा इंसानों को चांद पर उतरा था लेकिन इसमें लगने वाले भारी-भरकम खर्च को दुनिया भूल चुकी है।
• Chandrayaan 1 के सफल होने के बाद भारत ने सितंबर 2019 को विक्रम लैंडर के साथ प्रज्ञान रोवर को भेजा था, लेकिन चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर ही इसका संपर्क टूट गया।
Chandrayaan 2 से मिला सबक
- • ISRO ने Chandrayaan 2 की असफलता के बाद Chandrayaan 3 में कई बदलाव किए जिसमें इसका टारगेटेट लैंडिंग एरिया की लम्बाई को 4.2 किमी और चौड़ाई को 2.5 किमी तक बढ़ाया गया।
• इसके अलावा Chandrayaan 3 में लेज़र डॉपलर वेलोसिमीटर लगाया गया है जिससे ये चाँद की सतह पर उतरने के बाद खुद अपनी ऊंचाई और घुमाव को नियंत्रित कर सकता है।
• Chandrayaan 3 के सफल होने पर ये पता चलेगा कि स्पेस कैसे ज्यादा आसान हो गया है और इससे किसी भी मुश्किल मिशन को पाने में ये भारत को मजबूत बनाए रखेगा।
• जैसे जैसे चन्द्रमा पर कोई भी मिशन सफल होता है तो इससे इंसानों का चाँद और उसकी सतह से जुड़ा ज्ञान बढ़ रहा है। इससे पता चलता है कि चन्द्रमा पर जाने और वहाँ रुकने के आसार बन रहे है।