कर्नाटक के बेंगलुरु में एक एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। 34 वर्षीय अतुल ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक 24 पन्नों का सुसाइड नोट और 90 मिनट का वीडियो छोड़ा। इस घटना ने न केवल उनके परिवार को बल्कि समाज को भी गहरे सदमे में डाल दिया है।
आत्महत्या की पृष्ठभूमि
अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पैसों के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था और उनकी पत्नी ने उनसे 3 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता मांगा था। इसके अलावा, उनकी पत्नी ने कई झूठे मामले भी दर्ज कराए थे, जिनमें घरेलू हिंसा और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप शामिल थे.
अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, “मैं पैसे देने से मना करता हूं और मौत को चुनता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि उनका कमाया हुआ पैसा उन्हें ही बर्बाद करने में लग रहा है, और वे न्याय की उम्मीद में जीने को तैयार नहीं थे.
कंगना रनौत की प्रतिक्रिया
इस घटना पर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि “शादी में 99% पुरुषों का ही दोष होता है,” जो इस बात की ओर इशारा करता है कि समाज में पुरुषों को ही अधिकतर जिम्मेदार ठहराया जाता है। कंगना ने इस वीडियो को दिल दहला देने वाला बताया और इसे एक गंभीर सामाजिक मुद्दा माना.
कंगना की इस टिप्पणी ने एक नई बहस को जन्म दिया है। क्या वास्तव में विवाह में समस्याओं के लिए पुरुषों को ही दोषी ठहराना उचित है? या यह एक व्यापक सामाजिक समस्या है जिसमें दोनों पक्षों की भूमिका होती है? यह सवाल आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है।
सामाजिक प्रभाव
अतुल सुभाष की आत्महत्या ने न केवल उनके परिवार को प्रभावित किया, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी भी है। सोशल मीडिया पर लोग अतुल के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और उनकी पत्नी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई यूजर्स ने कंपनी Accenture, जहां उनकी पत्नी काम करती हैं, को टैग करते हुए उसे नौकरी से निकालने की अपील की.
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि मानसिक स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दे कितने गंभीर हैं। अतुल का मामला उन हजारों पुरुषों की कहानी कहता है जो विवाहिक तनाव और कानूनी लड़ाइयों के कारण मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।
अतुल सुभाष की आत्महत्या एक दुखद घटना है जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में विवाहिक संबंधों की जटिलताओं को कैसे समझा जाए। कंगना रनौत की टिप्पणी इस बात का संकेत देती है कि हमें विवाहिक समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए और दोनों पक्षों की भावनाओं और समस्याओं को समझने का प्रयास करना चाहिए।