बॉलीवुड अभिनेता जितेंद्र किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं और उन्होंने कई दशकों तक हिंदी सिनेमा में दबदबा कायम किया हैं और वर्तमान में भी वह इंडस्ट्री के सबसे सम्मानित और अमीर अभिनेताओं में से एक हैं. हालाँकि बेहद कम लोग ये जानते होंगे कि उनका शुरुआत करियर बेहद संघर्षपूर्ण रहा हैं.
जितेंद्र आज जुहू के एक आलीशान बंगले में रहते हैं हालाँकि शुरूआती दिनों में मुंबई की एक छोटी सी चॉल में रहा करते थे. कम उम्र में पिता की मृत्यु के बाद घर की खराब आर्थिक को सुधारने के लिए अभिनेता ने कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था. जितेंद्र को सबसे पहले काम जूनियर आर्टिस्ट के रूप में मिला था. उन्हें यह काम फिल्ममेकर शांताराम ने दिया था. उनसे कहा गया था कि जिस दिन कोई जूनियर आर्टिस्ट नहीं आएगा, उनसे काम लिया जाएगा और इसके बदले हर महीने 105 रुपए दिए जाएंगे.
जितेंद्र का काम धीरे-धीरे शांताराम को पसंद आने लगा और शांताराम ने जितेंद्र को ‘गीत गाया पत्थरों ने’ फिल्म के लिए साइन किया. यही वो समय था जब शांताराम ने उनका नाम रवि कपूर से बदलकर जितेंद्र कर दिया था. जितेंद्र को फिल्म तो मिली, हालाँकि ब्रेक दिया गया इसलिए पैसे कम हो गए. अब उन्हें प्रत्येक महीनें सिर्फ 100 रूपए पर साइन किया गया था, और पहले 6 महीनों तक उन्हें पैसे ही नहीं दिए गए थे. जितेंद्र ने कई वर्षों तक लगातार संघर्ष किया. जिसके बाद उन्होंने साल 1967 में ‘फर्ज’ फिल्म से लोकप्रियता मिली. इस फिल्म का गाना ‘मस्त बहारों का मैं आशिक’ काफी पसंद किया गया था और जितेंद्र को हिंदी सिनेमा का ‘जंपिंग जैक’ कहा जाने लगा था. बाद में हमजोली और कारवां जैसी सुपरहिट फिल्मों के बाद वह सुपरस्टार बन गए थे.
जितेंद्र वर्तमान में बालाजी टेलीफिल्मस और बालाजी मोशन पिक्चर के चेयरमैन हैं. उनकी बेटी एकता कपूर ने फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री खुद की पहचान बना चुकी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अभिनेता वर्तमान में लगभग 1400 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं.