भारत के आजाद होने के बाद से भारतीय सेना बिना थके रुके हमारे देश की रक्षा कर रही है। भारतीय सैनिक को वह हमारे देश में देव तुल्य माना जाता है क्योंकि वह अपने प्राणों की आहुति देकर हमारे देश को समृद्ध एवं विकासशील बनाने में अतुलनीय योगदान देता है।
वैसे तो हर भारतीय सैनिक भारत मां की रक्षा के लिए अपनी जान की आहुति देने को तैयार रहता है लेकिन कुछ सैनिक ऐसे भी होते हैं जो अपने देश प्रेम में कुछ ऐसा कर गुजरते हैं कि उनका देश प्रेम दूसरों के लिए मिसाल बन जाता है।
आज हम अपने आर्टिकल में पंजाब रेजीमेंट के हरभजन सिंह का जिक्र करेंगे जिनको शहीद हुए 52 वर्ष से ज्यादा हो चुका है लेकिन उनकी आत्मा आज भी इस देश की रक्षा कर रही है।
हरभजन सिंह : एक परिचय
हरभजन सिंह जी का जन्म अगस्त 1946 में जिला गुजारावाला में हुआ था, जो कि इस समय पाकिस्तान में है।हरभजन सिंह 1966 में 24 वी पंजाब बटालियन के सैनिक के तौर पर भारतीय सेना में शामिल हुए थे। उनको देश सेवा करते हुए 2 ही साल हुए थे कि वह नदी पार करते हुए तेज बहाव के कारण नदी में बह गए थे और उनकी लाश दो दिन तक नहीं मिली थी। तब हरभजन सिंह की आत्मा ने अपने रेजीमेंट के लोगो को अपनी लाश की जानकारी आकर दी थी और तब जाकर उनका अंतिम संस्कार हुआ था।
हरभजन सिंह से जुड़ी मान्यता
भारतीय सैनिकों के अनुसार 52 सालों से हरभजन सिंह की आत्मा भारत देश की रक्षा कर रही है, जब कभी चीन की तरफ से कोई भी हमला होता है तब हरभजन सिंह की आत्मा भारतीय सैनिकों को उनकी स्थिति के बारे में जानकारी देती है । जानकारों के अनुसार चीन के सैनिक द्वारा भी हरभजन सिंह जी की आत्मा को देखा गया है।
मीटिंग में अलग कुर्सी दी जाती है:
जब कभी हरभजन सिंह की बटालियन की मीटिंग होती है तब हरभजन सिंह जी को एक पृथक कुर्सी प्रदान की जाती है जिस पर कोई भी नहीं बैठता, मान्यताओं के अनुसार हरभजन सिंह मीटिंग के दौरान आते हैं और उस में भाग लेते हैं।
हरभजन बाबा का मंदिर:
जब लोगों में हरभजन सिंह जी के लिए आस्था बढ़ती गई तब हरभजन सिंह जी का एक मंदिर बनवाया गया।
आपको ये बता दे की ये मंदिर गंगोतक में जेलेपला दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच 13 हजार फिट की उचाई पर बना हुआ है। मान्यताओं के अनुसार यहां पर हरभजन सिंह जी को एक अलग कमरा भी दिया गया जहां पर वह रहते हैं और तो और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय सेना आज भी उनको तनख्वाह प्रदान करती है। नमन है ऐसे भारत के वीर को जो मरने के बाद भी अपने देश की रक्षा कर रहे हैं।