किसी व्यक्ति के लिए किसीको अपने अकाउंट का नॉमिनी बनाना उस व्यक्ति को अकाउंट के लिए नामित करना होता है। जोकि आपके इस दुनिया में न रहने के बाद उस खाते, बीमा या स्टॉक का असली हकदार बन जाता है। अगर आप भी यही चाहते हैं, कि आपके द्वारा अर्जित धन किसी के गलत हाथों में ना पड़ जाए या व्यर्थ ही ना चला जाए, तो अपने बैंक खातों, बीमा और स्टॉक में किसी न किसी व्यक्ति को अवश्य नामित करें।
नॉमिनी ना होने में आ सकती है दिक्कत

अगर किसी खाता धारक द्वारा अपने बैंक अकाउंट में नॉमिनी के विकल्प को नहीं भरा गया तो उसकी मौत के बाद उसके परिवार को पैसा मिलने में तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। हम अपने जीवन में अपनी बचत और निवेश करके जितनी संपत्ति जोड़ पाते हैं, उसके सिर्फ दो ही उद्देश्य होते हैं, पहले तो यह कि हमें कभी भी समय आने पर किसी के सामने हाथ ना पसारना पड़े और दूसरा यह कि अगर अकस्मात दुर्भाग्यवश हमारी मौत हो जाती है तो हमारे परिवार वालों को किसी भी मुसीबत का सामना न करना पड़े। लेकिन कई बार हमसे जीवन में ऐसी कई गलतियां हो जाती हैं, जिसके चलते हम अपनी जीवन भर की कमाई से हाथ धो बैठते हैं।
नॉमिनी बनाने के लाभ

किसी भी व्यक्ति के लिए संपत्ति जोड़ने में उसका पूरा जीवन लग जाता है, जोकि वह अपने परिवार या वारिस के लिए छोड़ जाता है। नॉमिनी बनाकर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं, कि आपके द्वारा जोड़ी गई धनराशि उस व्यक्ति को मिलेगी जिसे आप वास्तव में देना चाहते हैं। फिर चाहे वह बीमा हो, बैंक में जमा धनराशि हो, एसावधि जमा हो या आवर्ती खाता या फिर म्युचुअल फंड और शेयर में लगाई गई रकम ही क्यों ना हो, आपके द्वारा यह सभी धनराशि आपके द्वारा नामित व्यक्ति को ही मिलेगी, इसी बात को ध्यान में रखते हुए नॉमिनी बनाना बहुत आवश्यक होता है।
नॉमिनी बनाने से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उस व्यक्ति को संपत्ति का कानूनी अधिकार मिल जाता है। जैसे उसके माता-पिता, पत्नी या फिर पुत्र, लेकिन अगर किसी भी संपत्ति के कई वारिस या उत्तराधिकारी होते हैं और नामित व्यक्ति वारिस नहीं होता है तो वारिस के योग्य होने तक वह संपत्ति का संरक्षक रहता है, किसी भी व्यक्ति के द्वारा अलग-अलग खातों के लिए अलग-अलग लोगों को भी नॉमिनी बनाया जा सकता है।
नॉमिनी न बनाने के नुकसान

अगर किसी भी व्यक्ति के द्वारा अपने अकाउंट में नॉमिनी का नाम नहीं दिया जाता, तो उसके परिवार वालों को पैसे मिलने में कई मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है, हालांकि अकाउंट का पैसा डूबता नहीं है पर उसे लेने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं।
अगर किसी खाता धारक ने अपने अकाउंट में नॉमिनी नहीं बनाया है, तो उत्तराधिकारी को इस बात को साबित करना होता है कि वही कानूनी तौर पर उसकी संपत्ति का पहला हकदार है, जिसके चलते उसे कोर्ट और कचहरी तक के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं।
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