आचार्य चाणक्य के बारे में आज कौन नहीं जाता होगा. वह चन्द्रगुप्त के महामंत्री थे और उन्होंने ही चंद्रगुप्त को सीख देकर राजा बनाया था. अगर चाणक्य न होते तो शायद चन्द्रगुप्त राजा ही नहीं बन पाते. इसके बाद उन्होंने चन्द्रगुप्त के पुत्र सम्राट अशोक को भी चाणक्य ने शिक्षा प्रदान की थी.
चणक के बेटे होने के कारण उन्हें चाणक्य नाम दिया गया था. इसके आलावा उन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त जैसे नामों से भी जाना जाता था. चाणक्य एक बेहद ज्ञानी विद्वान थे और आप भी उनके बताये हुए रास्ते पर चलते हैं तो आपको भी जीवन में कभी भी तरह कोई परेशानी नहीं होगी.आज ही शुरू कर दे ये 4 चीज़े…. खुद लड़कियां आपके पीछे भागने लगेगी
आज इस लेख में हम चाणक्य द्वारा बताई गई एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपको भी एक बड़ी सीख मिलेगी.किसी से भूलकर भी नहीं शेयर करे ये गुप्त बाते, वरना जीवन भर
श्लोक
कुग्रामवासः कुलहीन सेवा कुभोजनं क्रोधमुखी च भार्या।
पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम्॥
इस श्लोक में ही जीवन का सारा सार छुपा हैं, जिसमे अमल करके बड़े से बड़े दुखों से निजात पाया जा सकता हैं. इस श्लोक का अर्थ है कि यदि किसी शख्स को दुष्टों के गांव में रहना पड़े, या कभी ऐसा मौका आये जब उन्हें कुलहीन लोगों की सेवा करनी पड़े, जो नहीं खाना चाहिए वो भी खाना पड़े, हमेशा क्रोध करने वाली और अपशब्द बोलने वाली पत्नी हो, मूर्ख पुत्र या विधवा पुत्री है, तो उस शख्स का शरीर बिना आग लगाए ही हमेशा जलता रहता है.भूलकर भी नहीं करे इन 5 महिलाओ से शादी, जिंदगी हो सकती है बर्बाद
NOTE: इस लेख में दी कहीं गई बातें सोशल मीडिया पर मौजूद सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. अद्भुत इंडिया वेबसाइट इसकी पुष्टि नहीं करता है.