मैदा, जिसे रिफाइंड फ्लोर भी कहा जाता है, भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि ब्रेड, बिस्कुट, पिज्जा, और समोसे। हालांकि, इसके सेवन को लेकर कई मिथक प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह है कि मैदा पेट या आंतों में चिपक जाता है। इस लेख में हम इस मिथक की सच्चाई और मैदा के स्वास्थ्य पर प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
मैदा और पाचन संबंधी मिथक
क्या मैदा आंतों में चिपकता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह धारणा गलत है कि मैदा आंतों की दीवारों पर चिपक जाता है। न्यूट्रिशनिस्ट अमिता गद्रे के अनुसार, “मैदा को कच्चा नहीं खाया जाता है; इसे पकाया जाता है। पकाने के बाद यह सरल कार्बोहाइड्रेट के रूप में पाचन तंत्र से गुजरता है और शरीर में अवशोषित हो जाता है”।
पाचन पर प्रभाव
हालांकि, मैदा की कुछ विशेषताएँ इसे पाचन के लिए हानिकारक बना सकती हैं। मैदा में फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे इसकी पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। आहार विशेषज्ञ सिमरत भुई ने बताया कि “यदि अधिक मात्रा में मैदा का सेवन किया जाए तो यह अपच और कब्ज जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है” ।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
ग्लूटेन की मौजूदगी
मैदा में उच्च मात्रा में ग्लूटेन पाया जाता है, जो कुछ लोगों के लिए स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। फंक्शनल न्यूट्रिशनिस्ट मुग्धा प्रधान का कहना है कि “ग्लूटेन गट हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है”। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए चिंताजनक हो सकता है जो सीलियक रोग या ग्लूटेन संवेदनशीलता से ग्रस्त हैं।
पोषण संबंधी कमी
मैदा का अत्यधिक सेवन पोषण संबंधी कमी का कारण बन सकता है। चूंकि इसे बनाने के लिए गेहूं की बाहरी परत हटा दी जाती है, इसमें आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स की कमी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
ब्लड शुगर लेवल
मैदा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी उच्च होता है, जिसका अर्थ है कि यह रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ा सकता है। यदि आप नियमित रूप से मैदा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो इससे मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।
मैदा का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यह सच नहीं है कि मैदा पेट या आंतों में चिपकता है; लेकिन इसके सेवन से होने वाली पाचन संबंधी समस्याएँ और पोषण की कमी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि साबुत अनाज का विकल्प चुनना बेहतर होता है क्योंकि यह फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
इस प्रकार, यदि आप अपनी सेहत को लेकर गंभीर हैं, तो मैदा का सेवन सीमित करना और स्वस्थ विकल्प चुनना एक समझदारी भरा कदम होगा।