पूर्व नौकरशाहों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी ने अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण विवाद को लेकर एक नया मोड़ लिया है। इस पत्र में, पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वे इस संवेदनशील मुद्दे में हस्तक्षेप करें और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
दरगाह विवाद का बेकग्राउंड
अजमेर शरीफ दरगाह, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, भारत के सबसे प्रसिद्ध सूफी तीर्थ स्थलों में से एक है। हाल ही में, दरगाह के सर्वेक्षण को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है, जिसमें कुछ समूहों ने इसे अवैध गतिविधियों का हिस्सा बताया है। पूर्व नौकरशाहों का मानना है कि इस विवाद से देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है, जो कि समाज के लिए हानिकारक होगा।
चिट्ठी में उठाए गए मुद्दे
चिट्ठी में पूर्व नौकरशाहों ने निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया:
– सांप्रदायिक सौहार्द: पत्र में कहा गया है कि देश में सांप्रदायिक घटनाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है और इसे रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
– प्रधानमंत्री का हस्तक्षेप: पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें, जैसा कि उन्होंने पहले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वार्षिक उर्स के अवसर पर चादर भेजकर किया था।
– हानिकारक गतिविधियों पर रोक: पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि सर्वेक्षण के दौरान जो अवैध और हानिकारक गतिविधियाँ सामने आई हैं, उन पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।
अजमेर शरीफ दरगाह का महत्व
अजमेर शरीफ दरगाह न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह स्थान विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है। दरगाह पर हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, जो यहां आस्था और श्रद्धा के साथ प्रार्थना करते हैं। इसलिए, इस तरह के विवादों का समाधान करना अत्यंत आवश्यक है ताकि सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखा जा सके।
पूर्व नौकरशाहों की चिट्ठी एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल अजमेर शरीफ दरगाह की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बल्कि देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपेक्षा की जाती है कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।