राजस्थान में लगभग हर बड़े शहर में पुरानी इमारतें किले दुर्ग आदि मौजूद हैं। इन सबके होने के पीछे राजस्थान का ऐतिहासिक कारण है जहां पुराने समय में राजा महाराजा यहां रहा करते थे। राजस्थान की यह इमारत हैं खुद में पूरे राजस्थान का इतिहास समेटे हुए हैं। राजस्थान में पहले राजपूतों का राज हुआ करता था लेकिन इसके बाद बाहरी आक्रमणों के कारण राजस्थान के साथ साथ भारत का शासन भी विदेशी आक्रांता ओं के अधीन हो गया।
पूरे भारत में सबसे अधिक पवित्र और प्रिय दरगाह है अजमेर की शरीफ दरगाह है। जिसे भारत की मक्का मदीना कहा जाता है। राजस्थान के इतिहास में अजमेर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इसे राजस्थान का हृदय माना जाता है। आज आपको राजस्थान के अजमेर की एक दरगाह है डाई दिन का झोपड़ा के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।
क्यों कहा जाता है इसे अढाई दिन का झोपड़ा
राजस्थान के बीचो-बीच स्थित राजस्थान का हृदय कहलाने वाला एक जिला अजमेर है इसी अजमेर में भारत की सबसे बड़ी दरगाह है। इसके अलावा यहां पर एक इमारत है जिसे अढाई दिन का झोपड़ा कहते हैं। इसका निर्माण सन 1192 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। इसके मुख्य द्वार पर भाई और संस्कृत में विद्यालय के बारे में कुछ लिखा हुआ है। इस इमारत को ढाई दिन का झोपड़ा कहने के पीछे मुख्य रूप से दो कारण हैं। पहले बात करें तो इस इमारत को बनाने में 60 घंटे का समय लगा था या नहीं ढाई दिन का समय लगा था इसलिए इसे डाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है इसके अलावा यहां मस्जिद में उर्स अर्थात मेला लगता है जो ढाई दिन का होता है इसलिए भी इसे डाई दिन का झोपड़ा कहते हैं।
कैसे बनाया गया इस इमारत को
राजस्थान के अजमेर में उपस्थित डाई दिन का झोपड़ा 25 फीट ऊंचे 70 खंभों के सहारे बनाया गया है असल में यह खंभे एक मंदिर के हैं जिसे मुगलों के द्वारा तोड़ दिया गया था। इस मस्जिद का काफी हिस्सा मंदिर का है इसलिए यह मस्जिद के बजाय देखने में मंदिर लगता है। आपको बता दें कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने और मोहम्मद गौरी ने भारत में काफी तोड़फोड़ की थी और बहुत सारे मंदिरों को तोड़ दिया था वह सिर्फ मस्जिदों को संरक्षित करते थे इसके अलावा हिंदुओं को और मंदिरों को हटा दिया जाता था।