वृंदावन के आश्रम में रहने वाले प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj )राधा रानी के परम भक्त माने जाते हैं. हाल ही में एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से सवाल किया कि अगर घर के बड़े ही गलत आचरण करें तो हमे क्या करना चाहिए?. इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद जी ने बेहद ही शानदार जवाब दिया.
जानिए Premanand Maharaj का जवाब
इस बेहद ही ट्रिकी सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद जी ने कहा कि जो पूज्य हैं मतलब हमारे बड़े हैं और उनसे कुछ अनर्थ हो रहा हो तो हम उनसे निवेदन कर सकते हैं. इसके आलावा अगर वो हमारी ही उम्र के हैं तो हम उन्हें समझा सकते हैं और आज्ञा भी दे सकते हैं.
महाराज जी कहते हैं कि यदि पूज्य जन नहीं मानते हैं तो आप जप में इतना सामर्थ हैं कि हम अपने विचारों का दमन कर सकते हैं.
प्रेमानंद जी आगे ये कहते हैं कि अगर नाम जप नहीं हैं तो हम गुस्से को नहीं दबा सकते हैं और फिर हमारा गुस्सा अंदर ही अंदर एक बेहद ही विस्पोट रूप ले लेता हैं. महाराज जी का ये भी कहना हैं कि सभी राय अलग-अलग हैं. कोई भी तुम्हारे अनुसार काम करें ये हर बार उचित नहीं हैं.
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हम अध्यात्म को लेकर इतना ताकतवर बने कि हम सभी को एक साथ लेकर चल सके. तुम्हारी तरह नहीं चले और आपको उनके अनुकूल होगा पड़ेगा.
Premanand Maharaj ने उदाहरण देकर समझाई अपनी बात
प्रेमानंद महाराज ने अपनी बात को उदाहरण देकर समझाते हुए कहा कि एक बूढी सास अगर अक्सर अपनी बहू की बुराई करती हैं और हर बार बिना कुछ कहें सुन लेती हैं और मन ही मन ये सोचती हैं कि सब कुछ करने बाद भी बुराई हो रही हैं. तो फिर आप अपने धरम में गिर जाएंगे. लेकिन अगर आप ये सोच ले कि इन्हें बोलना हैं तो बोलने दो मैं अपना कर्तव्य पूरा करुँगी.
अध्यात्म वाले ऐसा ही करते हैं. नहीं तो आपने ऐसा भी कई बार देखा होगा जब कुछ लोग अपने घरों के बुजुर्गो की पिटाई भी कर देते हैं.
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