पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 को निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया और पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने के विषय में कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर इस बात को लेकर कि चूंकि उनके कोई बेटे नहीं हैं, तो यह जिम्मेदारी उनकी बेटियों पर आएगी या नहीं।
मनमोहन सिंह का परिवार
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब में हुआ था। उन्होंने 1958 में गुरुशरण कौर से शादी की, और उनके तीन बेटियाँ हैं: उपिंदर सिंह, दमन सिंह, और अमृत सिंह। उपिंदर एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं और अशोका विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। दमन सिंह एक लेखिका हैं, जबकि अमृत सिंह मानवाधिकार वकील हैं.
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया
भारतीय परंपरा के अनुसार, आमतौर पर पुत्र अपने पिता के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभाते हैं। लेकिन जब कोई बेटा नहीं होता है, तो बेटियाँ भी इस जिम्मेदारी को निभा सकती हैं। मनमोहन सिंह की बेटियाँ इस स्थिति में हैं कि वे अपने पिता को मुखाग्नि दे सकती हैं। शास्त्रों के अनुसार, यदि बेटियाँ श्रद्धा और प्रेम से यह कार्य करती हैं, तो उन्हें वही अधिकार प्राप्त है जो पुत्र को है.
सिख धर्म की विशेषताएँ
मनमोहन सिंह सिख धर्म से ताल्लुक रखते थे, जिसमें अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में कुछ विशेषताएँ होती हैं। सिख धर्म में यह आवश्यक नहीं है कि केवल पुरुष ही मुखाग्नि दें; परिवार का कोई भी सदस्य यह कार्य कर सकता है। इसलिए, उनकी बेटियाँ या नाती भी इस जिम्मेदारी को निभा सकते हैं.
बेटियों की भूमिका
मनमोहन सिंह की तीनों बेटियाँ उम्र के छठे दशक में हैं। उपिंदर (65 वर्ष), दमन (61 वर्ष), और अमृत (58 वर्ष) सभी ने अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उपिंदर के दो बच्चे हैं, जबकि दमन के एक बेटा है जिसका नाम रोहन पटनायक है। अमृत के परिवार के बारे में जानकारी कम उपलब्ध है.
क्या बेटियाँ मुखाग्नि देंगी?
यह सवाल उठता है कि क्या मनमोहन सिंह की बड़ी बेटी उपिंदर या अन्य बेटियाँ उन्हें मुखाग्नि देंगी। भारतीय समाज में यह परंपरा बदल रही है, और कई जगहों पर बेटियाँ भी इस कार्य को करने लगी हैं। यदि मनमोहन सिंह की बेटियाँ इस कार्य को करती हैं, तो यह न केवल उनके लिए बल्कि समाज के लिए भी एक सकारात्मक संदेश होगा.
कानूनी और सामाजिक पहलू
भारत में अंतिम संस्कार करने के लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है कि यह केवल पुत्र ही करे। बेटियाँ या अन्य करीबी रिश्तेदार भी यह कर्तव्य निभा सकते हैं। इस प्रकार, मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने का कार्य उनकी बेटियों द्वारा किया जा सकता है, जो कि सिख धर्म और भारतीय संस्कृति दोनों के अनुरूप है.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार एक महत्वपूर्ण घटना है जो न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश के लिए मायने रखती है। उनकी बेटियों द्वारा मुखाग्नि देने की संभावना इस बात का प्रतीक होगी कि समाज में बदलाव आ रहा है और महिलाएँ अब पारंपरिक भूमिकाओं से बाहर निकलकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रही हैं।