उत्तर प्रदेश के बरेली में एक मुस्लिम युवक द्वारा हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों वाली प्लेट पर बिरयानी बेचने का मामला हाल ही में सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना। इस घटना को लेकर विभिन्न हिंदू संगठनों ने विरोध जताया है और इसे ‘नापाक’ हरकत करार दिया है। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि युवक ने अपने ठेले पर “शुभ दीपावाली” और “शुभ लाभ” जैसे शब्द लिखकर बिरयानी बेची, जिससे कुछ ग्राहकों को यह आभास हुआ कि यह दुकान हिंदू धर्म से जुड़ी है।
घटना का विवरण
![बिरयानी](https://adbudhindia.com/wp-content/uploads/2024/12/Mahindra-XEV-9e-2-3.jpg)
वीडियो में कुछ हिंदू संगठन से जुड़े कार्यकर्ता यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि मुस्लिम युवक ने अपने धर्म को छिपाकर उन्हें बिरयानी खिलाई। एक ग्राहक ने आरोप लगाया कि वह एक हिंदू संगठन से जुड़ा है और उसे धोखा दिया गया है। जब उसे पता चला कि दुकानदार मुस्लिम है, तो उसने वीडियो बनाकर इसे वायरल कर दिया। इस घटना के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया और युवक ने अपना ठेला हटा लिया।
कोलकाता के उत्तर 24 परगना में गुमा रेलवे स्टेशन के पास स्थित “हाजी बिरयानी” का मालिक मोहम्मद अशरफ हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों वाली प्लेटों पर बिरयानी बेच रहा हैं !! pic.twitter.com/uVLVdrNmKP
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) December 10, 2024
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
हालांकि, कोतवाली थाना पुलिस ने बताया कि अभी तक इस मामले में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है। पुलिस ने कहा कि यदि कोई शिकायत आती है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी। हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात की और कार्रवाई की मांग की, लेकिन अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है।
धार्मिक संवेदनशीलता
यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे देश में धार्मिक संवेदनशीलता को लेकर बहस का विषय बन गई है। कुछ लोग इसे धार्मिक पहचान के साथ छेड़छाड़ मानते हैं, जबकि अन्य इसे व्यवसायिक स्वतंत्रता का मामला बताते हैं। इस प्रकार की घटनाएं अक्सर समाज में विभाजन और तनाव पैदा कर सकती हैं, जिससे सामुदायिक सौहार्द प्रभावित होता है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने के बाद विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताया, जबकि अन्य ने इसे एक सामान्य व्यापारिक गतिविधि के रूप में देखा। इस प्रकार की बहसें अक्सर समाज में विभिन्न समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा सकती हैं।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि क्या व्यवसायिक गतिविधियों को धार्मिक पहचान से जोड़ना उचित है या नहीं। यह न केवल बरेली बल्कि पूरे देश में धार्मिक पहचान और व्यवसायिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को दर्शाता है। समाज में सभी समुदायों के बीच आपसी समझ और सहिष्णुता बनाए रखना अनिवार्य है ताकि ऐसे विवादों से बचा जा सके।