9 सितम्बर को कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा की 47वीं जयंती थी. हाल में उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘शेरशाह’ कुछ दिनों पहले रिलीज हुई थी. जिसके अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने विक्रम बत्रा का किरदार बेहद शानदार तरीके से निभाया था. हालाँकि बेहद कम लोग ये जानते होंगे कि फिल्म की ऐसे कई डायलॉग जो किसी ने राइटर ने नहीं बल्कि खुद विक्रम बत्रा ने बोले थे. आज इस लेख में हम ऐसे ही 7 डायलॉग के बारे में जानेगे. कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था. बचपन से ही बत्रा में देश के प्रति कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी. शेरशाह फिल्म में कैप्टन बत्रा अपने दोस्त से कहते हैं कि ‘तिरंगा लेकर आउंगा, नहीं तो उसमें लिपट कर आउंगा, लेकिन आउंगा जरूर.’ ये बात खुद विक्रम ने बोली थी. फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा(विक्रम बत्रा) अपने कैप्टन जामवाल से कहते हैं, कि वो गोली मेरे लिए थी और मेरी जगह वो…ये बात रियल लाइफ में कैप्टन बत्रा ने अपनी बहन से फोन पर कही थी और बोला था कि दीदी, यह गोली मेरे लिए थी और मैंने अपना आदमी गवा दिया हैं.विक्रम बत्रा ने पेप्सी के स्लोगन ‘ये दिल मांगे मोर’ को अपने विनिंग नारे के रूप में चुना था. कैप्टन बत्रा ने यह बात खुद पत्रकार बरखा दत्ता को कही थी. जब उन्होंने प्वाइंट 5140 पर सफलतापूर्वक कब्जा करने के बाद उनका इंटरव्यू किया था.
इंटरव्यू को शेरशाह फिल्म में भी दिखाया गया है, जिसमें वह अपने कोडनेम (शेरशाह) को पाकिस्तानी सैनिकों के इंटरसेप्ट किए जाने और उनकी धमकियों पर उनके सैनिकों की प्रतिक्रिया के बारे में बात कर रहे थे. उन्होंने ये भी बताया था कि पाकिस्तानी सैनिक ने कहा था, कि ‘ओ शेरशाह तु आ गाया’ इसके बाद मेरे लड़कों में और ज्यादा जोश आ गए थे. शेरशाह फिल्म में दिखाया गया हैं कि एक पाकिस्तानी सोल्जर ने कैप्टन बत्रा से कहा था कि माधुरी दीक्षित हमें दें, अल्लाह की कसम हम सब यहां से चले जाएंगे. ये सीन देखने के बाद लोग सोच रहे होगे कि ये बात सिर्फ मनोरंजन के लिए थी हालाँकि ये किस्सा असल में हुआ था. जिसके जवाब में विक्रम ने पॉइंट-ब्लैंक रेंज पर उसे गोली मारी और कहा कि यह माधुरी दीक्षित की ओर से एक गिफ्ट है. दुश्मनों से युद्ध के दौरान जब विक्रम बत्रा ने एक सिपाही को अपने आगे जाने से रोका था, क्योंकि उसकी एक पत्नी और बच्चे थे. उन्होंने कहा था कि रघु साहब रुको, आप बाल-बच्चों वाले हो, मैं जाता हूँ. ये किस्सा फ़िल्मी नहीं हैं बल्कि एकदम असली हैं. विक्रम बत्रा ने लड़ते वक़्त अपनी जान का रिस्क लेकर एक साथी सैनिक की जान बचाई थी और कहा था कि अन्ना, तुम्हें नीचे जाना चाहिए. आपको इलाज करवाना चाहिए. मैं इन बगर्स को सुलझा लूंगा. इसके बारे में कारगिल युद्ध के कैप्टन नवीन नागप्पा ने एक इंटव्यू के दौरान ये बताया था.कैप्टन बत्रा ने प्वाइंट 4875 पर फिर कब्जा करते हुए देश के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी थी हालाँकि उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.