कैबिनेट फेरबदल से पहले मोदी सरकार ने मंगलवार को नए सहकारिता मंत्रालय के गठन की घोषणा की. एक सरकारी बयान में कहा गया है कि मंत्रालय देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक अलग प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचा मुहैया कराएगा. बयान में कहा गया है कि मंत्रालय, मोदी सरकार द्वारा ‘सहकार से समृद्धि’ (सहकारिता के माध्यम से समृद्धि) के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए बनाया गया है.
यह मंत्रालय नया बनाया हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी कमान देश के गृह मंत्री अमित शाह को दी हैं. दरअसल अमित शाह के पास सहकारिता सेक्टर में काम अच्छा-खासा अनुभव है.
होम मिनिस्टर शाह के लिए यह एक ऐसा विभाग हैं जिसने उन्हें राजनीतिक रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका निभाई हैं. ग्रामीण इलाकों के साथ संबंध स्थापित करने की उनकी पॉवर और राजनीतिक क्षमता का लाभ अब इस मंत्रालय को मिलेगा. इतना ही नहीं महाराष्ट्र में चीनी सहकारी समितियों की अहम भूमिका होने के कारण, शाह के पास स्टेट में भारतीय जनता पार्टी को और भी मजबूत करने के अवसर होंगे.
राजनीती के दिग्गज अमित शाह का सहकारी क्षेत्र में जुड़ाव तब शुरू हुआ जब उन्हें अहमदाबाद जिला सहकारी (एडीसी) बैंक में सबसे कम उम्र के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. 90 के दशक में उन्होंने महज 36 वर्ष की उम्र में ये चुनाव जीता था. इसके लावा गुजरात बीजेपी प्रवक्ता और सीए यमल व्यास का कहना हैं कि गुजरात में शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के विकास में श्री अमित शाह की भूमिका अतुल्य हैं. व्यास ने बताया कि एक वर्ष से भी कम समय में, अमित भाई ने अटल वाजपेयी और तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को बैंक को बचाने के लिए पर्याप्त नीतिगत बदलावों के लिए राजी के लिए दिल्ली की करीब 100 यात्राएं की.
अमित शाह प्रधानमंत्री मोदी के सबसे भरोसेमंद मंत्री माने जाते हैं ऐसे में पीएम ने इस नए और महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी उन्हें दी हैं.